उत्तरप्रदेश में कई दिनों से यादव परिवार में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। समाजवादी पार्टी की सत्ता अखिलेश संभाल रहे हैं, लेकिन पिता और चाचा के हाथों पार्टी की कमान थी। जल्द होने वाले चुनावों में टिकट बंटवारे के प्रश्न को साख का सवाल बना लिया गया। मुलायम-शिवपाल की लिस्ट में अपने करीबीयों का नाम होने से खिन्न अखिलेश ने अपनी लिस्ट जारी की। यह सियासी लड़ाई उस वक्त बेहद रोमांचक हो गई, जब अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को पार्टी से ही निष्कासित कर दिया गया। लेकिन अगले ही दिन एक नाटकीय घटनाक्रम में उन्हें वापस भी ले लिया गया। ।
Watch DB LIVE | 02 JAN 2017 | GHUMTA HUA AINA | CURRENT AFFAIRS | RAJEEV RANJAN SRIVASTAVA With HD Quality.
उत्तरप्रदेश में कई दिनों से यादव परिवार में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। समाजवादी पार्टी की सत्ता अखिलेश संभाल रहे हैं, लेकिन पिता और चाचा के हाथों पार्टी की कमान थी। जल्द होने वाले चुनावों में टिकट बंटवारे के प्रश्न को साख का सवाल बना लिया गया। मुलायम-शिवपाल की लिस्ट में अपने करीबीयों का नाम होने से खिन्न अखिलेश ने अपनी लिस्ट जारी की। यह सियासी लड़ाई उस वक्त बेहद रोमांचक हो गई, जब अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को पार्टी से ही निष्कासित कर दिया गया। लेकिन अगले ही दिन एक नाटकीय घटनाक्रम में उन्हें वापस भी ले लिया गया। ।
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हिंदुस्तान को आजाद हुए सत्तर साल हो गए। इन सात दशकों में देश निर्माण के ढेरों काम हुए और विश्व में भारत की अलग पहचान बनी। सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा, यह केवल गीत की पंक्ति नहीं है, बल्कि इसमें भारत की आत्मा, भारत के विचार के दर्शन होते हैं। सचमुच हिंदुस्तान जैसा कोई मुल्क दुनिया में शायद ही हो, जहां तमाम दुश्वारियों के बावजूद जनता सुनहरे भविषय के लिए उम्मीदें बांधे रहती है। भारत को आगे बढ़ाने में इस आम जनता का ही सबसे बड़ा योगदान है, जो तरह-तरह की विसंगतियों के बावजूद अपने देश से प्रेम करती है और चुपचाप अपने काम में लगी रहती है। उसे देशप्रेम का सर्टिफिकेट किसी से नहीं चाहिए, न ही वह इसके बदले कुछ चाहती है। लेकिन अब जमाना ऐसा आ गया है कि देशभक्ति भी प्रमाणित किए जाने की मोहताज हो गई है। आप सरकार के खिलाफ कुछ बोलें तो देश के विरोधी हो जाते हैं। आप सुबह-शाम देशप्रेम के नारे न लगाएं तो देशविरोधी हो जाते हैं। देशप्रेम प्रदर्शन की वस्तु नहीं है, लेकिन शो बाजी के इस जमाने में अब यही चलन हो गया है। राषट्रगान के रचयिता, कविकुलगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कहा था- देशप्रेम हमारा आखिरी आध्यात्मिक सहारा नहीं बन सकता। मेरा आश्रय मानवता है, मैं हीरे के दाम में ग्लास नहीं खरीदूंगा और जब तक मैं जिंदा हूं मानवता के ऊपर देशप्रेम की जीत नहीं होने दूंगा। यानी रवीन्द्रनाथ ठाकुर मानवता को सबसे ऊपर रखते थे। लेकिन आज के हिंदुस्तान में मानवता अंधी गलियों में भटकती रास्ता तलाश रही है और राषट्रभक्ति संसद की ड्योढ़ी पर माथा रखकर प्रदर्शित की जा रही है।
Watch DB LIVE | 5 Dec 2016 | GHUMTA HUA AINA | CURRENT AFFAIRS | RAJEEV RANJAN SRIVASTAVA With HD Quality
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चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है, खबर ये आसमाँ के अखबार की है
मैं चलूँ तो मेरे संग कारवाँ चले, बात गुरूर की नहीं, ऐतबार की है
नमस्कार मैं हूं राजीव और आप देख रहे हैं घूमता हुआ आईना। बात गुरूर की नहीं, ऐतबार की है, जी हां, यह जुमला मौजूदा वक्त में मीडिया पर बिल्कुल सटीक बैठता है। जो सूचना-तकनीकी क्रांति के आगाज के साथ बेहद ताकतवर बन चुका है। पल भर में किसी खबर को दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंचाने की इस शक्ति में ऐतबार कहीं गुम होता जा रहा है और गुरूर बढ़ता जा रहा है। खबरों की आसान पहुंच लोगों तक हो, यह बात लोकतंत्र की मजबूती के लिए अच्छी है। लेकिन तेज खबरें पहुंचाने की होड़ लोकतंत्र के लिए उतनी ही घातक भी है। क्योंकि इसमें न खबरों की पुष्टि हो पाती है, और न उन पर धैर्य से विचार करने का अवसर ही मिलता है। जितनी जल्दी खबर मिली, उतनी जल्दी प्रतिक्रिया तैयार हो जाती है।
Watch DB LIVE | 16.1.2017 | Ghumta Hua Aaina | Current Affairs | Rajeev Ranjan Srivastava |Lalit Surjan | With HD Quality
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मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक है रज़ा तेरी
मगर टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता आहिस्ता
नमस्कार मैं हूं राजीव और आप देख रहे हैं घूमता हुआ आईना। शायर अहमद नदीम कासमी ने क्या खूब फरमाया है कि टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता-आहिस्ता। अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के बीच इन दिनों रिश्ता दर्द का ही हो गया है। पिछले कई महीनों की रस्साकशी के बाद यह तय हो गया कि साइकिल की सवारी तो अखिलेश ही करेंगे, मुलायम चाहें तो पीछे से सहारा दें या उतर कर अलग राह पकड़ लें। आखिर ऐसा क्या हुआ कि पिता-पुत्र के रिश्तों में इतनी दूरियां आ गईं कि उन्हें अलग-अलग चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा? क्या सचमुच अब समाजवादी पार्टी बंट गई है? क्या होगा मुलायम सिंह यादव का भविष्य और शिवपाल यादव की राजनीति अब किस तरह की होगी? रामगोपाल यादव क्या सचमुच चाणक्य या आज की भाषा में कहें तो किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे?
Watch DB LIVE | 18.1.2017 | Ghumta Hua Aaina | Current Affairs | Rajeev Ranjan Srivastava | With HD Quality
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मौसम की मिसाल दूँ या नाम लूँ तुम्हारा, कोई पूछ बैठा है बदलना किसको कहते हैं।
नमस्कार, मैं हूं राजीव और आप देख रहे हैं घूमता हुआ आईना। मौसम सर्दियों का है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि बारिश के मौसम ने दलबदल कर सर्दी के पाले में आने का मन बना लिया है। यूं तो बदलना मौसम की फितरत है, लेकिन इस वक्त कई नेता इस मामले में मौसम को भी मात देते नजर आ रहे हैं। सर्दी और बारिश के मौसम के साथ-साथ जनता इस वक्त एक और मौसम से दो-चार हो रही है, और वो है चुनावी मौसम। इस मौसम की खासियत यह है कि इसमें पतझड़ की तरह कभी पुराने नेता, अपनी पार्टी की शाख से गिर जाते हैं, तो कभी पके फल की तरह टपक कर दूसरे दल की टोकरी में जा गिरते हैं। दलबदल की खेती इसी मौसम में होती है। सालों-साल एक दल में रहने के बाद जब टिकट नहीं मिलती, या पहले जैसा भाव नहीं मिलता तो विचारधारा का अचार डाल कर तुरंत दूसरे दल की राह पकड़ ली जाती है, फिर चाहे वह धुर-विरोधी ही क्यों न हो। देखिए ये रिपोर्ट-
पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की दस्तक होते ही दलबदल के लिए सभी दलों के दरवाजे खुल गए हैं।
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घूमता हुआ आईना।
अजब जुनूं है ये इंतक़ाम का जज़्बा..शिकस्त खा के वो पानी में ज़हर डाल आया..
हारने पर दुख होना सामान्य व्यवहार माना जाता है। हारने के बाद जीत की तैयारी में नए सिरे से जुट जाना जोश और हौसले की पहचान होती है। लेकिन हार को बर्दाश्त ही नहीं कर पाना, हारने के बाद बदले की भावना में बह जाना और इतना इस हद तक दूर चले जाना कि फिर किसी की हत्या करने से भी गुरेज़ न हो, इसे क्या कहेंगे, पागलपन, दीवानगी या इंतकाम का जज्बा? डर और अंजाम जैसी फिल्मों में शाहरूख खान दीवाने प्रेमी का किरदार निभाते हुए जब किसी लड़की को तंग करते हैं, तब भी नायक होने के नाते दर्शकों की सहानुभूति उनके साथ होती है। लेकिन असल ज़िदंगी में जब ऐसा कोई किरदार समाज में दिखाई देता है, तो कैसा खौफनाक मंज़र होता है
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Watch DB LIVE | 12 DEC 2016 | GHUMTA HUA AAINA-2 | CURRENT AFFAIRS | RAJEEV RANJAN SRIVASTAVA With HD Quality
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Watch DB LIVE | 18 DEC 2016| GHUMTA HUA AAINA | CURRENT AFFAIRS | RAJEEV RANJAN SRIVASTAVA With HD Quality
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थियेटर में टाइमिंग का बड़ा महत्व होता है। अभिनय के दौरान ही नहीं, मंच पर आने और जाने की टाइमिंग भी अगर साध ली जाए तो दर्शक देर तक उससे प्रभावित रहते हैं। कमोबेश यही बात जिंदगी पर भी लागू होती है। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग यूं तो लंबे समय तक प्रशासनिक सेवा से जुड़े रहे, लेकिन अभिनय के शौकीन भी वे खूब रहे हैं। शायद इसलिए उन्होंने राजनीति के मंच पर अपने आने और जाने की टाइमिंग को इस तरह साधा कि वे जब तक रहे, चर्चा में बने रहे और जब उन्होंने मंच छोड़ा, तब भी उनकी ही चर्चा हो रही है। गुरुवार शाम दिल्ली के सियासी गलियारे में तब अचानक गहमागहमी बढ़ गई जब ये खबर आई कि उपराज्यपाल नजीब जंग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालाँकि प्रधानमंत्री ने अभी उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया है और उन्हें अपने पद पर बने रहने का निर्देश दिया है। देखते हैं ये रिपोर्ट-
Watch DB LIVE | 25 DEC 2016| GHUMTA HUA AAINA | CURRENT AFFAIRS | RAJEEV RANJAN SRIVASTAVA With HD Quality
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अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो..आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए....
मुलायम सिंह यादव के दिल की तमन्ना इस वक्त शायद यही होगी कि उनकी आंखों से आंसू की जगह हसरत ही निकल जाए। हसरत, सपा को दोबारा सत्ता में लाने की। हसरत, सपा का सुप्रीमो आजीवन बने रहने की। हसरत, हमेशा के लिए राजनीति का पहलवान बने रहने की। लेकिन ऐसा लग रहा है कि उस्ताद को चेले से ही पटखनी मिल गई। सपा के दंगल में अखिलेश यादव ने अपना बाहुबल साबित करते हुए दिखा दिया है कि इस दंगल के सुल्तान फिलहाल वे ही हैं। क्या होगा समाजवादी पार्टी का भविष्य? क्या पार्टी दो फाड़ होगी? क्या यूपी के चुनाव अब पंचकोणीय होंगे? ऐसे कई सवालों पर चर्चा के लिए हमारे साथ लखनऊ से जुड़े हुए हैं देशबंधु के उत्तरप्रदेश ब्यूरो प्रमुख रतिभान त्रिपाठी। आइये पहले देखते हैं ये रिपोर्ट..
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