घूमता हुआ आईना।
अजब जुनूं है ये इंतक़ाम का जज़्बा..शिकस्त खा के वो पानी में ज़हर डाल आया..
हारने पर दुख होना सामान्य व्यवहार माना जाता है। हारने के बाद जीत की तैयारी में नए सिरे से जुट जाना जोश और हौसले की पहचान होती है। लेकिन हार को बर्दाश्त ही नहीं कर पाना, हारने के बाद बदले की भावना में बह जाना और इतना इस हद तक दूर चले जाना कि फिर किसी की हत्या करने से भी गुरेज़ न हो, इसे क्या कहेंगे, पागलपन, दीवानगी या इंतकाम का जज्बा? डर और अंजाम जैसी फिल्मों में शाहरूख खान दीवाने प्रेमी का किरदार निभाते हुए जब किसी लड़की को तंग करते हैं, तब भी नायक होने के नाते दर्शकों की सहानुभूति उनके साथ होती है। लेकिन असल ज़िदंगी में जब ऐसा कोई किरदार समाज में दिखाई देता है, तो कैसा खौफनाक मंज़र होता है.
घूमता हुआ आईना।
अजब जुनूं है ये इंतक़ाम का जज़्बा..शिकस्त खा के वो पानी में ज़हर डाल आया..
हारने पर दुख होना सामान्य व्यवहार माना जाता है। हारने के बाद जीत की तैयारी में नए सिरे से जुट जाना जोश और हौसले की पहचान होती है। लेकिन हार को बर्दाश्त ही नहीं कर पाना, हारने के बाद बदले की भावना में बह जाना और इतना इस हद तक दूर चले जाना कि फिर किसी की हत्या करने से भी गुरेज़ न हो, इसे क्या कहेंगे, पागलपन, दीवानगी या इंतकाम का जज्बा? डर और अंजाम जैसी फिल्मों में शाहरूख खान दीवाने प्रेमी का किरदार निभाते हुए जब किसी लड़की को तंग करते हैं, तब भी नायक होने के नाते दर्शकों की सहानुभूति उनके साथ होती है। लेकिन असल ज़िदंगी में जब ऐसा कोई किरदार समाज में दिखाई देता है, तो कैसा खौफनाक मंज़र होता है
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चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है, खबर ये आसमाँ के अखबार की है
मैं चलूँ तो मेरे संग कारवाँ चले, बात गुरूर की नहीं, ऐतबार की है
नमस्कार मैं हूं राजीव और आप देख रहे हैं घूमता हुआ आईना। बात गुरूर की नहीं, ऐतबार की है, जी हां, यह जुमला मौजूदा वक्त में मीडिया पर बिल्कुल सटीक बैठता है। जो सूचना-तकनीकी क्रांति के आगाज के साथ बेहद ताकतवर बन चुका है। पल भर में किसी खबर को दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंचाने की इस शक्ति में ऐतबार कहीं गुम होता जा रहा है और गुरूर बढ़ता जा रहा है। खबरों की आसान पहुंच लोगों तक हो, यह बात लोकतंत्र की मजबूती के लिए अच्छी है। लेकिन तेज खबरें पहुंचाने की होड़ लोकतंत्र के लिए उतनी ही घातक भी है। क्योंकि इसमें न खबरों की पुष्टि हो पाती है, और न उन पर धैर्य से विचार करने का अवसर ही मिलता है। जितनी जल्दी खबर मिली, उतनी जल्दी प्रतिक्रिया तैयार हो जाती है।
Watch DB LIVE | 16.1.2017 | Ghumta Hua Aaina | Current Affairs | Rajeev Ranjan Srivastava |Lalit Surjan | With HD Quality
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मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक है रज़ा तेरी
मगर टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता आहिस्ता
नमस्कार मैं हूं राजीव और आप देख रहे हैं घूमता हुआ आईना। शायर अहमद नदीम कासमी ने क्या खूब फरमाया है कि टूटेगा रिश्ता दर्द का आहिस्ता-आहिस्ता। अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के बीच इन दिनों रिश्ता दर्द का ही हो गया है। पिछले कई महीनों की रस्साकशी के बाद यह तय हो गया कि साइकिल की सवारी तो अखिलेश ही करेंगे, मुलायम चाहें तो पीछे से सहारा दें या उतर कर अलग राह पकड़ लें। आखिर ऐसा क्या हुआ कि पिता-पुत्र के रिश्तों में इतनी दूरियां आ गईं कि उन्हें अलग-अलग चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा? क्या सचमुच अब समाजवादी पार्टी बंट गई है? क्या होगा मुलायम सिंह यादव का भविष्य और शिवपाल यादव की राजनीति अब किस तरह की होगी? रामगोपाल यादव क्या सचमुच चाणक्य या आज की भाषा में कहें तो किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे?
Watch DB LIVE | 18.1.2017 | Ghumta Hua Aaina | Current Affairs | Rajeev Ranjan Srivastava | With HD Quality
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मौसम की मिसाल दूँ या नाम लूँ तुम्हारा, कोई पूछ बैठा है बदलना किसको कहते हैं।
नमस्कार, मैं हूं राजीव और आप देख रहे हैं घूमता हुआ आईना। मौसम सर्दियों का है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि बारिश के मौसम ने दलबदल कर सर्दी के पाले में आने का मन बना लिया है। यूं तो बदलना मौसम की फितरत है, लेकिन इस वक्त कई नेता इस मामले में मौसम को भी मात देते नजर आ रहे हैं। सर्दी और बारिश के मौसम के साथ-साथ जनता इस वक्त एक और मौसम से दो-चार हो रही है, और वो है चुनावी मौसम। इस मौसम की खासियत यह है कि इसमें पतझड़ की तरह कभी पुराने नेता, अपनी पार्टी की शाख से गिर जाते हैं, तो कभी पके फल की तरह टपक कर दूसरे दल की टोकरी में जा गिरते हैं। दलबदल की खेती इसी मौसम में होती है। सालों-साल एक दल में रहने के बाद जब टिकट नहीं मिलती, या पहले जैसा भाव नहीं मिलता तो विचारधारा का अचार डाल कर तुरंत दूसरे दल की राह पकड़ ली जाती है, फिर चाहे वह धुर-विरोधी ही क्यों न हो। देखिए ये रिपोर्ट-
पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की दस्तक होते ही दलबदल के लिए सभी दलों के दरवाजे खुल गए हैं।
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थियेटर में टाइमिंग का बड़ा महत्व होता है। अभिनय के दौरान ही नहीं, मंच पर आने और जाने की टाइमिंग भी अगर साध ली जाए तो दर्शक देर तक उससे प्रभावित रहते हैं। कमोबेश यही बात जिंदगी पर भी लागू होती है। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग यूं तो लंबे समय तक प्रशासनिक सेवा से जुड़े रहे, लेकिन अभिनय के शौकीन भी वे खूब रहे हैं। शायद इसलिए उन्होंने राजनीति के मंच पर अपने आने और जाने की टाइमिंग को इस तरह साधा कि वे जब तक रहे, चर्चा में बने रहे और जब उन्होंने मंच छोड़ा, तब भी उनकी ही चर्चा हो रही है। गुरुवार शाम दिल्ली के सियासी गलियारे में तब अचानक गहमागहमी बढ़ गई जब ये खबर आई कि उपराज्यपाल नजीब जंग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालाँकि प्रधानमंत्री ने अभी उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया है और उन्हें अपने पद पर बने रहने का निर्देश दिया है। देखते हैं ये रिपोर्ट-
Watch DB LIVE | 25 DEC 2016| GHUMTA HUA AAINA | CURRENT AFFAIRS | RAJEEV RANJAN SRIVASTAVA With HD Quality
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अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो..आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए....
मुलायम सिंह यादव के दिल की तमन्ना इस वक्त शायद यही होगी कि उनकी आंखों से आंसू की जगह हसरत ही निकल जाए। हसरत, सपा को दोबारा सत्ता में लाने की। हसरत, सपा का सुप्रीमो आजीवन बने रहने की। हसरत, हमेशा के लिए राजनीति का पहलवान बने रहने की। लेकिन ऐसा लग रहा है कि उस्ताद को चेले से ही पटखनी मिल गई। सपा के दंगल में अखिलेश यादव ने अपना बाहुबल साबित करते हुए दिखा दिया है कि इस दंगल के सुल्तान फिलहाल वे ही हैं। क्या होगा समाजवादी पार्टी का भविष्य? क्या पार्टी दो फाड़ होगी? क्या यूपी के चुनाव अब पंचकोणीय होंगे? ऐसे कई सवालों पर चर्चा के लिए हमारे साथ लखनऊ से जुड़े हुए हैं देशबंधु के उत्तरप्रदेश ब्यूरो प्रमुख रतिभान त्रिपाठी। आइये पहले देखते हैं ये रिपोर्ट..
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Watch DB LIVE | 20 NOVEMBER 2016 | GHUMTA HUA AAINA-2 | current affairs | rajeev ranjan srivastava With HD Quality
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GHUMTA HUA AAINA: 24.11.2016: कानपुर के पास पुखरायां में हुई रेल दुर्घटना की भीषण त्रासदी ने देश को झकझोर कर रख दिया है। कहने को 150 लोगों की मौत हुई है, लेकिन दरअसल हजारों लोग जीवन से नाउम्मीद हो गए हैं। अपनी-अपनी मंजिलों की ओर बढ़ रहे मुसाफिरों को यह अहसास भी नहीं होगा कि उनके सफर के साथ-साथ मौत भी आगे बढ़ रही थी।
मध्य प्रदेश के इंदौर से बिहार की राजधानी पटना जा रही इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन (19321) के रविवार तड़के कानपुर के पास दुर्घटनाग्रस्त होने से 150 लोगों की मौत हो गई है, और 2 सौ से अधिक घायल हैं। हादसा कानपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर पुखरायां के पास अल-सुबह 3 बजे हुआ, जहां ट्रेन के करीब 14 डब्बे पटरी से उतर गए. इनमें से 4 डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। नींद में बेखबर यात्री अचानक लगे झटके से संभल नहीं पाए और डिब्बों में इस तरह दब गए कि उन्हें बाहर निकालने के लिए डिब्बों को काटना पड़ा। जो लोग इस दुर्घटना में मौत के मुंह से बचकर आए हैं, वे बताते हैं कि कैसे हर ओर खून तथा मांस के टुकड़े बिखरे थे और चीख-पुकार मची हुई थी।
किसी ने अपने मां-बाप को खोया, किसी ने बच्चे को तो किसी ने अपने जीवनसाथी को। दुर्घटना की खबर लगते ही आसपास की रिहायशी बस्तियों से स्वयंसेवी संस्थाएं और नागरिक मदद के लिए पहुंच गए। सरकार ने भी तत्काल आपदा राहत का कार्य शुरु किया।
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Ghumta Hua Aaina. 24.11.2016 नोटबंदी लागू होने के दो हफ्ते बाद भी न बैंकों के आगे भीड़ कम हुई है, न एटीएम से लोगों की मुश्किलें हल हो रही है। पूरे देश में कोहराम मचा है, जिसका असर संसद सत्र पर पडऩा स्वाभाविक है। संसद के दोनों सदनों में विपक्ष लगातार नोटबंदी पर सरकार को घेर रहा है। विपक्षी दल चाहते हैं कि प्रधानमंत्री सदन में आकर बयान दें, लेकिन न जाने क्यों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर संसद में कुछ बोलने से बच रहे हैं।
नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में राजनीतिक लड़ाई तेज होती जा रही है। पिछले सप्ताह नोटबंदी के कारण सदन में कोई कार्यवाही नहीं हो पाई और इस सप्ताह भी हालात ऐसे ही लग रहे हैं। बुधवार को एकजुट विपक्ष ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया। 13 विपक्षी दलों के 2 सौ सांसदों का धरना अब तक सरकार के खिलाफ विपक्ष की सबसे बड़ी मोर्चाबंदी है। विपक्ष की मांग है कि नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में आकर बयान दें। लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि हम नोटबंदी के खिलाफ नहीं हैं. इसे लागू किए जाने के तरीके के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि सभी दल आपस में बातचीत कर रहे हैं और आने वाले दिनों में राष्ट्रपति से मिलने पर विचार किया जा रहा है। कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कोई इस सरकार पर सवाल उठाए तो वह देशद्रोही हो जाता है। हमारी मांग साफ है, हम नोटबंदी पर चर्चा में प्रधानमंत्री की मौजूदगी चाहते हैं और चर्चा नियम 56 के तहत होनी चाहिए जिसमें वोटिंग का प्रावधान है।
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Watch DB LIVE | 12 DEC 2016 | GHUMTA HUA AAINA-1 | CURRENT AFFAIRS | RAJEEV RANJAN SRIVASTAVA With HD Quality
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মানুহৰ জীৱনৰ ধৰ্ম আৰু কৰ্ম কিহৰ দ্বাৰা পৰিচালিত হয়?
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ভগৱান শ্ৰীকৃষ্ণৰ জীৱন দৰ্শনৰ পৰা আমি কি কি কথা শিকা উচিত?
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চুতীয়া শব্দৰ উৎপত্তি আৰু চুতীয়া সকলৰ ইতিহাস
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Neel Akash live music show 2024 Rongali Bihu || Asin Ayang mane ki? ||
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