1923 में मशहूर गायक मुकेश चन्द्र माथुर का जन्म हुआ था। सुरों के बादशाह मुकेश ने अपना गायकी सफ़र 1941 में शुरू किया था। इनका सबसे पहला गाना 'दिल ही बुझा हुआ हो तो” था। निर्दोष फ़िल्म में मुकेश ने अभिनय के साथ-साथ गाने भी खुद गाए थे, इसके अलावा इन्होंने फ़िल्म माशूका, आह, अनुराग और दुल्हन में बतौर अभिनेता काम किया। इसमें कोई शक नहीं कि मुकेश एक सुरीली आवाज़ के मालिक थे और यही वजह है कि उनके चाहने वाले सिर्फ हिन्दुस्तान मे ही नहीं, बल्कि विदेशों में भीं हैं। अभिनेता मोतीलाल पर फिल्माया गाना 'दिल जलता है, तो जलने दे' को श्रोताओं ने ख़ूब पसंद किया। मुकेश को एक बार राष्ट्रीय पुरस्कार और चार बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार से नवाज़ा गया।
1933 में मशहूर क्रांतिकारी यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त का निधन हुआ था। 1909 में इंग्लैड से इन्होंने अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की थी। कोलकाता उच्च न्यायालय में वकालत शुरू करने के साथ ही मज़दूरों के हित के लिए हमेशा काम करते रहे थे। यतीन्द्र मोहन को पांच बार कोलकाता का मेयर चुना गया था। अपने पद को त्यागकर इन्होंने आज़ादी के आंदोलन में काम करना शुरू कर दिया। असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा सहित कई आंदोलनों में अपना योगदान दिया। 1931 में पहले गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए यतीन्द्र इंग्लैण्ड गए थे। जनवरी, 1932 में इन्हें बंदी बना लिया गया और इन्हें पूना, दार्जिलिंग और रांची में कैद रखा गया।.
- 1923 में कैलिफोर्निया के शहर लॉस एंजिलिस में माउंट हिल्स के पास जमीन की कीमतों को बढ़ाने के लिए प्रचार के मकसद से 'HOLLYWOOD' लिखा गया था। पैंतालीस फीट ऊंचे और साढ़े तीन सौ फीट लंबी इस आकृति में सफेद रंग के अक्षरों में 'HOLLYWOOD' लिखा गया। शुरुआती आकृति का आकार सिर्फ 50 फीट ऊंचा और 30 फीट चौड़ा था, जिसे बाद में विशालकाय बनाया गया। कुछ वर्षों में अमेरिकी सिनेमा के प्रसार के साथ ही इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई। शुरुआत में यहां Hollywoodland लिखा गया था, ज़मीन जायदाद से ज़्यादा सिनेमा की पहचान बन जाने के बाद 1949 में इसमें बदलाव किए गए और इसमें से 'Land' शब्द अलग कर दिया गया।
- 1971 में मोरक्को में तख़्तापलट करने के लिए फ़ौज के 10 अधिकारियों को मौत की सज़ा दी गई थी। हमले के ठीक 72 घंटे के भीतर ही फौज के चार जनरल, पांच कर्नल और एक मेजर को बिना किसी मुक़दमे और कोर्ट मार्शल के मौत की सज़ा सुनाई गई। उन्हें एक फ़ायरिंग स्कवॉड के सामने खड़ाकर एक के बाद एक गोली मारी गई। सेना के एक ट्रेनिंग सेंटर से तालुक़्क रखने वाले क़रीब 250 बाग़ियों ने शिखारत महल पर ठीक उसी वक़्त हमला किया, जब बादशाह हसन (द्वितीय) अपना 42वां जन्मदिन मना रहे थे। महल से 10 मील दूर स्थित रबात रेडियो, गृह मंत्रालय और सेना मुख्यालय पर भी एक के बाद एक हमले हुए। बागि़यों ने बादशाह को मारकर सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लेने का दावा किया था लेकिन मोरक्को की समाचार एजेंसी ने बाद में ख़बर दी कि बादशाह सुरक्षित हैं, जबकि उनकी वफ़ादार सेना ने सरकारी भवनों में आवाजाही बंद कर दी है और वो रबात की सड़कों पर टैंको के साथ घूम रही है। इस घटना मे बेल्जियम के राजदूत समेत 92 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हुए थे।
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-1958 में इराक़ में सेना के अफसरों के एक समूह ने बगावत कर राजशाही को सत्ता से हटा दिया था और राजा फ़ैसल द्वितीय की हत्या कर दी। बग़दाद रेडियो ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि फ़ौज ने इराक़ी लोगों को 'साम्राज्यवाद के ज़रिये सत्ता में आए कुछ भ्रष्ट लोगों' से आज़ादी दिलवा दी है। घोषणा में कहा गया कि, 'आज के बाद इराक़ एक गणतंत्र है, जो दूसरे अरब देशों से संबंध बनाए रखेगा और साथ ही इस बात की भी जानकारी दी गई कि पड़ोसी देश जॉर्डन में तैनात 12,000 इराक़ी सैनिकों को वापस बुलाया जा रहा है। मेजर जनरल अब्दुल करीम एल क़ासिम को इराक़ का नया प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख भी घोषित कर दिया गया।
-1969 में अमेरिका के वित्त मंत्रालय और फेडरल रिजर्व सिस्टम ने घोषणा की थी कि 500, 1,000, 5,000 और 10,000 डॉलर के नोटों का इस्तेमाल तुरंत प्रभाव से रोक दिया जाएगा, क्योंकि इनका उपयोग बहुत कम हो रहा है। हालांकि सन् 1969 में ये नोट जारी किए जाते रहे। इन्हें सन् 1945 में आखिरी बार प्रिंट किया गया था। अमेरिका में जो सबसे बड़ा नोट सरकार ने छापा था, वह एक लाख डॉलर का गोल्ड सर्टिफिकेट था। यह सिर्फ अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक के ट्रेजरर यानी खजांची ही दे सकते थे और वह भी इतने ही मूल्य की सोने की ईंटें दिए जाने पर। ये नोट सिर्फ रिजर्व बैंकों के बीच लेन-देन के लिए इस्तेमाल होते थे। आम जनता के लिए ये नहीं थे। हालाकि बाद में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम शुरू होने के कारण बहुत ज्यादा कैश लेने देने की प्रथा धीरे-धीरे कम हो गई।
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903 में राजनीति के दिग्गज और सुधारवादी नेता के. कामराज का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम कामाक्षी कुमारस्वामी नादेर था। 15 वर्ष की उम्र में कामराज ने अपने गृह ज़िले में कांग्रेस पार्टी के लिए धन जुटाने का अभियान चलाकर राजनीति में दाखिल हुए। 1937 में उन्हें 'मद्रास विधानसभा' के लिए चुना गया और 1952 के आम चुनाव में लोकसभा की सीट हासिल की। 1954 से 1963 तक वह मद्रास के मुख्यमंत्री रहे और 'कामराज योजना' के अंतर्गत उन्होंने पद छोड़ दिया। इसके बाद उन्हें कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1964 में इन्होंने लाल बहादुर शास्त्री और 1966 में इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाई। कामराज को राजनीति का किंग मेकर कहा जाता है। इन्हें राजनीति में अहम योगदान के लिए भारत रत्न पुरस्कार से नवाज़ा गया।
1909 में आंध्र प्रदेश की पहली महिला नेता दुर्गाबाई देशमुख का जन्म हुआ था। 1923 में इन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय खोला। गांधीजी ने इस प्रयत्न की सराहना करते हुए दुर्गाबाई को स्वर्णपदक से सम्मानित किया था। नमक सत्याग्रह में इन्होंने मशहूर नेता टी. प्रकाशम के साथ हिस्सा लिया था। 1930 में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और एक वर्ष की सज़ा सुनाई गई। सज़ा काटकर जब वह बाहर आई तो फिर से आंदोलन में भाग लिया। इनकी दुबारा गिरफ्तारी हुई और तीन वर्ष के लिए सज़ा सुनाई गई। 1946 में दुर्गाबाई लोकसभा और संविधान परिषद् की सदस्य चुनी गईं, साथ ही कई समाजसेवी और महिलाओं के उत्थान से संबंधित संस्थाओं की सक्रिय सदस्य रहीं।
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1909 में मशहूर स्वतंत्रता सेनानी और नेता अरुणा आसफ़ अली का जन्म हुआ था। 1942 के ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो’ आंदोलन में इनका अहम योगदान था। गांधीजी आदि नेताओं की गिरफ्तारी के तुरंत बाद मुंबई में विरोध सभा आयोजित करके इन्होंने विदेशी सरकार को खुली चुनौती दी थी। 1942 से 1946 तक देशभर में सक्रिय रहकर भी वो पुलिस की पकड़ में नहीं आईं। 1946 में जब उनके नाम का वारंट रद्द हुआ, तभी वो सामने आयीं और सारी सम्पत्ति जब्त करने पर भी इन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया। 1947 में अरुणा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा निर्वाचित की गईं। दिल्ली में कांग्रेस संगठन को इन्होंने मज़बूत किया। 1948 में यह 'सोशलिस्ट पार्टी' में शामिल हुईं और दो साल बाद इन्होंने अलग से ‘लेफ्ट स्पेशलिस्ट पार्टी’ बनाई और सक्रियता से 'मज़दूर-आंदोलन' में जी जान से जुट गईं। 1955 में इस पार्टी का 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी' में विलय हो गया।1964 में अरुणा को लेनिन शांति पुरस्कार, 1991 में जवाहरलाल नेहरू अंतरराष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार,1992 में पद्म विभूषण और 1997 में मरणोपरांत इन्हें भारत रत्न पुरस्कार से नवाज़ा गया।
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1781 में ब्रिटेन के विख्यात खगोलशास्त्री विलियम हरशल ने आकाश गंगा की वास्तविकता का पता लगाया था। हरशल जब अपनी बनाई दूरबीन से ग्रह देख रहे थे, तभी उन्हें पता चला कि आकाशगंगा ऐसे ग्रहों का महान समूह है कि सौरमंडल उसका बहुत छोटा सा भाग है। अपनी दूरबीन की मदद से उन्होंने युरेनस ग्रह की खोज की थी। यह दूरबीन द्वारा पहचाना गया पहला ग्रह था। उन्होंने इसके अलावा युरेनस के दो उपग्रहों की और शनि के दो उपग्रहों की भी खोज की थी। हरशल ने इसी प्रकार कई अन्य ग्रहों की खोज की। जर्मनी में पैदा हुए विलियम एक ब्रिटिश खगोलशास्त्री और संगीतकार के तौर पर जग विख्यात हुए।
1861 में भारत की पहली महिला स्नातक और फ़िजीशियन कादम्बिनी गांगुली का बिहार के भागलपुर में जन्म हुआ था। कादम्बिनी गांगुली पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की लचर स्थिति पर भी काफ़ी काम किया। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। उनमें देशभक्ति की भावना बंकिमचन्द्र की रचनाओं से ही जागृत हुई थी। कादम्बिनी गांगुली ने देश के स्वाधीनता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन को पहली बार किसी महिला वक्ता के रूप में सम्बोधित किया था। कादम्बिनी गांगुली ने ज़िंदगी भर समाजसेवा की और हमेशा महिलाओं के उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रयास करती रहीं।
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356 ईसा पूर्व सिकंदर का जन्म हुआ था। सिकंदर ने 16 वर्ष की उम्र तक अरस्तू से ज्ञान हासिल किया था। अपना तीसवां जन्मदिन मनाने तक सिकंदर ने दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया था, जिसका विस्तार भूमध्यसागर से लेकर हिमालय तक था। जंग के मैदान में सिकंदर को कोई हरा नहीं सका और इतिहास इस वजह से सिकंदर को सबसे सफल कमांडर मानता है। सिकंदर ने अपने पिता फिलिप द्वितीय की हत्या के बाद मैसेडोनिया की गद्दी संभाली थी और विरासत में उन्हें एक मजबूत साम्राज्य और अनुभवी सेना मिली थी। सिकंदर ने सेना का विस्तार करते हुए अपने पिता की योजनाओं को आगे बढ़ाया। 334 ईसा पूर्व सिकंदर ने पहला धावा बोला और फिर अगले 10 सालों तक चले विजय अभियान के पूरा होने तक उसकी सेना भारत तक जा पहुंची थी। आज भी दुनिया भर की सेनाएं सिकंदर की रणनीतियों और तौर तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। महज 32 वर्ष की उम्र में ही सिकंदर की बीमारी से मौत हो गई थी।
1944 में एडॉल्फ़ हिटलर पूर्वी प्रशिया के रास्टेनबर्ग स्थित अपने मुख्यालय में हुए बम विस्फोट में बाल-बाल बचे थे। इस विस्फोट की जानकारी जर्मनी की न्यूज़ एजेंसी ने हिटलर के मुख्यालय से दी थी। इस बम प्लांट करने का आरोप कर्नल क्लॉस शेंक वॉन शॉउफ़ेनबर्ग नाम के एक वरिष्ठ अधिकारी पर लगा था। इस धमाके में हिटलर मामूली रूप से ज़ख्मी हुए थे। उन्हें सिर में चोट लगी थी और शरीर के कुछ हिस्से भी जल गए थे। इसके बावजूद हिटलर ने इटली के नेता बेनितो मुसोलिनी से मिलने का कार्यक्रम बरकरार रखा था। यह हिटलर पर हुआ तीसरा बड़ा जानलेवा हमला था।
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1927 में भारत के आठवें प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर सिंह का जन्म हुआ था। 1990 में राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरामण ने इन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी। चंद्रशेखर ने राजनीति में समाजवादी आन्दोलन से जुड़कर कदम रखा और सबसे पहले बलिया ज़िले के प्रजा समाजवादी दल के सचिव बने। एक वर्ष के बाद राज्य स्तर पर इस दल के संयुक्त सचिव बन गए। 1962 में चन्द्रशेखर राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य पर तब दिखे, जब उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चयनित हुए। 35 वर्ष की उम्र तक चंद्रशेखर ने वंचितों और दलितों के कल्याण की पैरवी करते हुए उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में अपनी प्रभावी पहचान बना ली थी। इन्होंने अपनी बात रखने के लिए यंग इंडिया नाम से एक साप्ताहिक समाचार पत्र का संपादन किया। 1955 में योग्य सांसद का पहला पुरस्कार चंद्रशेखर ने अपने नाम किया था।
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1969 में मानव ने चांद पर पहली बार कदम रखा था और इसी के साथ अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉंग चांद पर क़दम रखने वाले पहले इंसान बने थे। चांद की सतह पर अपना बायां पांव रखने के बाद नील आर्मस्ट्रॉंग ने ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा था 'एक मनुष्य का छोटा सा कदम, पर मनुष्यता के लिए बहुत बड़ी छलांग।' उन्होंने चांद की सतह को कोयले के चूरे की तरह बताया, जहां उनका यान उतरा था वहां क़रीब एक फुट गहरे गड्ढ़े पड़ गए थे। इस ऐतिहासिक क्षण को उनके यान पर लगे कैमरे ने कैद किया। उतरने के फ़ौरन बाद आर्मस्ट्रॉंग ने सबसे पहले चांद की सतह की तस्वीरें लीं और उसकी मिट्टी के कुछ नमूने एकत्र किए। आर्मस्ट्रॉंग के उतरने के 20 मिनट बाद उनके दूसरे साथी एडविन एल्ड्रिन ने चांद की ज़मीन पर कदम रखा। इन दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने चांद की सतह पर अमेरिकी झंडा लहराया और राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के हस्ताक्षर वाली एक पट्टिका भी चाँद पर गाड़ दी। इस पट्टिका पर लिखा था, 'यहां पृथ्वी गृह से मनुष्य ने जुलाई 1969 में पहली बार आ कर कदम रखा था।
1983 में अंटार्कटिका में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया था। इस इलाके में यूं तो तापमान 30 से माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक रहता है लेकिन इस ऐतिहासक दिन यहां का तापमान गिरकर माइनस 89.2 डिग्री तक चला गया। यहां जुलाई से अगस्त के बीच सबसे ज्यादा ठंड होती है और यह दिन अंटार्कटिका वासियों के लिए सबसे ज्यादा खराब होता है। दिसंबर और जनवरी यहां गर्मियों के सबसे अच्छे दिन होते हैं और तब भी तापमान फ्रीजिंग प्वाइंट से नीचे ही रहता है। इससे पहले भी सबसे कम तापमान का रिकॉर्ड अंटार्कटिका के ही नाम था और तब यह माइनस 80 डिग्री तक गया था।
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1843 में होम्योपैथी दवाओं का अविष्कार करने वाले जर्मनी के वैज्ञानिक क्रिस्टियान फ्रीडरिष सैमुअल हैनीमैन का निधन हुआ था। दुनियाभर से इस विधा के चिकित्सक दवाइयों और हैनीमैन के बारे में जानकारी लेने के लिए जर्मनी आते हैं। जर्मनी में होम्योपैथी दवाओं पर अभी भी बहस छिड़ी हुई है, क्योंकि यहां के चिकित्सकों का मानना है कि बहुत डाइल्यूट होने के कारण यह दवाइयां काम नहीं करतीं, बल्कि मरीज़ सिर्फ प्लासिबो इफेक्ट की वजह से ठीक हो जाते हैं।
1948 में मशहूर कवि आलोक धन्वा का जन्म हुआ था। आलोक धन्वा हिन्दी के उन बड़े कवियों में हैं, जिन्होंने 70 के दशक में कविता को एक नई पहचान दी। धन्वा की रचनाओं में सार्वजनिक संवेदना, सार्वजनिक मानव पीड़ा, पीड़ा का विरोध, मर्म सब कुछ गहराई तक उतरता है। सबसे पहले इनकी चार रचनाएं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘बहुबचन’ छपी। इन कविताओं के छपने के बाद हिन्दी जगत में इनका व्यापक स्वागत हुआ है। दुनिया रोज़ बनती है, चेन्नई में कोयल, सवाल ज़्यादा है, पाने की लड़ाई, गाय और बछड़ा आदि इनकी नायाब रचनाएं हैं। धन्वा को नागार्जुन सम्मान, फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान सहित कई अन्य सम्मानों से नवाज़ा गया है।
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1923 में मशहूर गायक मुकेश चन्द्र माथुर का जन्म हुआ था। सुरों के बादशाह मुकेश ने अपना गायकी सफ़र 1941 में शुरू किया था। इनका सबसे पहला गाना 'दिल ही बुझा हुआ हो तो” था। निर्दोष फ़िल्म में मुकेश ने अभिनय के साथ-साथ गाने भी खुद गाए थे, इसके अलावा इन्होंने फ़िल्म माशूका, आह, अनुराग और दुल्हन में बतौर अभिनेता काम किया। इसमें कोई शक नहीं कि मुकेश एक सुरीली आवाज़ के मालिक थे और यही वजह है कि उनके चाहने वाले सिर्फ हिन्दुस्तान मे ही नहीं, बल्कि विदेशों में भीं हैं। अभिनेता मोतीलाल पर फिल्माया गाना 'दिल जलता है, तो जलने दे' को श्रोताओं ने ख़ूब पसंद किया। मुकेश को एक बार राष्ट्रीय पुरस्कार और चार बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार से नवाज़ा गया।
1933 में मशहूर क्रांतिकारी यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त का निधन हुआ था। 1909 में इंग्लैड से इन्होंने अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की थी। कोलकाता उच्च न्यायालय में वकालत शुरू करने के साथ ही मज़दूरों के हित के लिए हमेशा काम करते रहे थे। यतीन्द्र मोहन को पांच बार कोलकाता का मेयर चुना गया था। अपने पद को त्यागकर इन्होंने आज़ादी के आंदोलन में काम करना शुरू कर दिया। असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा सहित कई आंदोलनों में अपना योगदान दिया। 1931 में पहले गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए यतीन्द्र इंग्लैण्ड गए थे। जनवरी, 1932 में इन्हें बंदी बना लिया गया और इन्हें पूना, दार्जिलिंग और रांची में कैद रखा गया।
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IND vs SA | World Cup T20 2024 | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
Welcome to the exhilarating showdown between India vs South Africa in the World Cup T20 2024 season! Get ready for an electrifying clash as these two powerhouse teams, fueled by raw talent and strategic brilliance, lock horns for cricketing supremacy.
Join us as the India, led by their charismatic captain, face off against the South Africa, determined to showcase their prowess on the pitch. With star-studded lineups boasting top-tier international players and emerging talents, expect nothing short of cricketing excellence and heart-stopping moments.
Don't miss a single moment of the action, drama, and excitement as these teams battle it out in the high-stakes arena of World Cup T20 2024. From breathtaking boundaries to strategic masterstrokes, witness every twist and turn in this epic showdown.
IND vs SA | World Cup T20 2024 | Final | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
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IND vs ZIM | T20 | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
Welcome to the exhilarating showdown between India vs Zimbawe in the T20 series! Get ready for an electrifying clash as these two powerhouse teams, fueled by raw talent and strategic brilliance, lock horns for cricketing supremacy.
Join us as the India, led by their charismatic captain, face off against the Zimbawe, determined to showcase their prowess on the pitch. With star-studded lineups boasting top-tier international players and emerging talents, expect nothing short of cricketing excellence and heart-stopping moments.
Don't miss a single moment of the action, drama, and excitement as these teams battle it out in the high-stakes arena of this T20 series. From breathtaking boundaries to strategic masterstrokes, witness every twist and turn in this epic showdown.
IND vs ZIM | T20 | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
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Watch as our employees try to guess the famous cricketers from just a few clues. Can you beat them at their own game? Test your cricket knowledge and see how many cricketers you can guess correctly. Don’t forget to like, comment, and subscribe for more fun office challenges and cricket trivia! #CricketChallenge #OfficeFun #guessthecricketer #crickettrivia
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IND vs BAN | T20 | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
Welcome to the exhilarating showdown between India vs Bangladesh in the T20 series! Get ready for an electrifying clash as these two powerhouse teams, fueled by raw talent and strategic brilliance, lock horns for cricketing supremacy.
Join us as the India, led by their charismatic captain, face off against the Bangladesh, determined to showcase their prowess on the pitch. With star-studded lineups boasting top-tier international players and emerging talents, expect nothing short of cricketing excellence and heart-stopping moments.
Don't miss a single moment of the action, drama, and excitement as these teams battle it out in the high-stakes arena of this T20 series. From breathtaking boundaries to strategic masterstrokes, witness every twist and turn in this epic showdown.
IND vs BAN | T20 | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
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IND vs SL | T20 | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
Welcome to the exhilarating showdown between India vs Sri Lanka in the T20 series! Get ready for an electrifying clash as these two powerhouse teams, fueled by raw talent and strategic brilliance, lock horns for cricketing supremacy.
Join us as the India, led by their charismatic captain, face off against the Sri Lanka, determined to showcase their prowess on the pitch. With star-studded lineups boasting top-tier international players and emerging talents, expect nothing short of cricketing excellence and heart-stopping moments.
Don't miss a single moment of the action, drama, and excitement as these teams battle it out in the high-stakes arena of this T20 series. From breathtaking boundaries to strategic masterstrokes, witness every twist and turn in this epic showdown.
IND vs SL | T20 | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
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IND vs SL | T20 | Final | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
Welcome to the exhilarating showdown between India vs Sri Lanka in the T20 series! Get ready for an electrifying clash as these two powerhouse teams, fueled by raw talent and strategic brilliance, lock horns for cricketing supremacy.
Join us as the India, led by their charismatic captain, face off against the Sri Lanka, determined to showcase their prowess on the pitch. With star-studded lineups boasting top-tier international players and emerging talents, expect nothing short of cricketing excellence and heart-stopping moments.
Don't miss a single moment of the action, drama, and excitement as these teams battle it out in the high-stakes arena of this T20 Final. From breathtaking boundaries to strategic masterstrokes, witness every twist and turn in this epic showdown.
IND vs SL | T20 | Final | Match Preview and Stats | Fantasy 11 | Crictracker
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মানুহৰ জীৱনৰ ধৰ্ম আৰু কৰ্ম কিহৰ দ্বাৰা পৰিচালিত হয়?
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