1781 में ब्रिटेन के विख्यात खगोलशास्त्री विलियम हरशल ने आकाश गंगा की वास्तविकता का पता लगाया था। हरशल जब अपनी बनाई दूरबीन से ग्रह देख रहे थे, तभी उन्हें पता चला कि आकाशगंगा ऐसे ग्रहों का महान समूह है कि सौरमंडल उसका बहुत छोटा सा भाग है। अपनी दूरबीन की मदद से उन्होंने युरेनस ग्रह की खोज की थी। यह दूरबीन द्वारा पहचाना गया पहला ग्रह था। उन्होंने इसके अलावा युरेनस के दो उपग्रहों की और शनि के दो उपग्रहों की भी खोज की थी। हरशल ने इसी प्रकार कई अन्य ग्रहों की खोज की। जर्मनी में पैदा हुए विलियम एक ब्रिटिश खगोलशास्त्री और संगीतकार के तौर पर जग विख्यात हुए।
1861 में भारत की पहली महिला स्नातक और फ़िजीशियन कादम्बिनी गांगुली का बिहार के भागलपुर में जन्म हुआ था। कादम्बिनी गांगुली पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की लचर स्थिति पर भी काफ़ी काम किया। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से कादम्बिनी बहुत प्रभावित थीं। उनमें देशभक्ति की भावना बंकिमचन्द्र की रचनाओं से ही जागृत हुई थी। कादम्बिनी गांगुली ने देश के स्वाधीनता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन को पहली बार किसी महिला वक्ता के रूप में सम्बोधित किया था। कादम्बिनी गांगुली ने ज़िंदगी भर समाजसेवा की और हमेशा महिलाओं के उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रयास करती रहीं।.
1981 में मशहूर भारतीय क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी का जन्म हुआ था। धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज़ हैं। दाएं हाथ के बल्लेबाज़ धोनी ने अपना क्रिकेट करियर बिहार अंडर-19 से शुरू किया था। धोनी को 1998 से 1999 के दौरान कूच बिहार ट्रॉफी से क्रिकेट में पहचान मिली। इस टूर्नामेंट में धोनी ने 9 मैचों में 488 रन बनाए और 7 स्टपिंग भी किए। इस प्रदर्शन के बाद उन्हें 2000 में पहली बार रणजी में खेलने का मौका मिला। 18 वर्ष की उम्र में धोनी ने बिहार की टीम से रणजी में दाखिल हुए। रणजी में खेलते हुए 2003 से 2004 तक कड़ी मेहनत की वजह से धोनी को जिम्बॉब्वे और केन्या दौरे के लिए भारतीय ‘ए’ टीम में चुना गया। जिम्बॉब्वे के ख़िलाफ़ उन्होंने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 7 कैच और 4 स्टंपिंग की। इस दौरे पर धोनी ने 7 मैचों में 362 रन भी बनाए। धोनी भारत को दो क्रिकेट विश्व कप जिताने वाले पहले कप्तान हैं। क्रिकेट में बेहतरीन प्रर्दशन के लिए धोनी को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
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1921 में इंसुलिन के इंक्जेक्शन की खोज हुई थी। टोरंटो यूनिवर्सिटी के दो वैज्ञानिकों फ्रेडरिक बैंटिंग और चार्ल्स बेस्ट ने इंसुलिन नाम के हार्मोन को इंसान के शरीर से अलग करने में सफलता पाई। इन वैज्ञानिकों ने कुत्तों पर पहले डायबिटीज़ बीमारी पनपाई और फिर उन्हें इंसुलिन के इंक्जेशन दिए। धीरे-धीरे कुत्ते बीमारी से बाहर आ गए। दो महीने बाद बैंटिंग ने यूनिवर्सिटी के ही दूसरे वैज्ञानिक जेजेआर मैक्लॉयड के साथ इंसुलिन का इंसान पर सफल परीक्षण किया। डायबिटीज़ से पीड़ित एक 14 साल का बच्चा चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गया। इसके बाद टोरंटो यूनिवर्सिटी ने दवा कंपनियों को इंसुलिन बनाने का लाइसेंस दिया। यूनिवर्सिटी ने दरियादिली दिखाते हुए लाइसेंस के लिए कोई रॉयल्टी नहीं मांगी। उसे मुफ्त में दे दिया गया।
1992 में मशहूर फिल्म अभिनेता अमजद ख़ान का निधन हुआ था। 1975 में रिलीज़ हुई फिल्म 'शोले' के पात्र गब्बर से अमजद ख़ान दर्शकों के दिलों में अपनी छवि बनाने में क़ामयाब रहे। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार 1957 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं' से की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद अमजद निर्देशक के.आसिफ़ के साथ असिस्टेंट के रूप में काम करने लगे। बतौर कलाकार अमजद खान की पहली फिल्म 'मुहब्बत और ख़ुदा' थी, जिसमें वह अभिनेता संजीव कुमार के गुलाम की भूमिका में दिखे थे। अपने 16 साल के फ़िल्मी करियर के दौरान अमजद ने लगभग 120 फिल्मों में काम किया। 'सुहाग', 'हम किसी से कम नही', 'चक्कर पे चक्कर', 'लावारिस', 'गंगा की सौगंध', 'बेशर्म', 'याराना', 'देश-परदेस”, शोले इनकी नायाब फ़िल्में हैं।
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1965 में चोर गैंग का सदस्य रोनाल्ड बिग्स अपने तीन अन्य क़ैदियों के साथ ब्रिटेन जेल की 30 फीट ऊंची दीवार फांदकर फरार हो गया था। इस चोर गैंग ने 1963 में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच चलने वाली पोस्ट ऑफिस ट्रेन में डकैती की थी। एक सौ पच्चीस साल से चल रही इस ट्रेन को अचानक एक स्टेशन पर लाल बत्ती दिखा कर रोका गया और लुटेरे 20 लाख पाउंड लेकर फरार हो गए। ये ब्रिटेन में किसी ट्रेन में होने वाली अब तक की सबसे बड़ी डकैती मानी जाती है।
1972 में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का जन्म हुआ था। बंगाल में जन्मे गांगुली को उनके भाई स्नेहाशीष गांगुली ने क्रिकेट जगत से रू-ब-रू कराया था। सौरव ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत स्कूल और राज्य स्तरीय क्रिकेट टीम से की। कई क्षेत्रीय टूर्नामेंटों जैसे रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी आदि में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद गांगुली को राष्ट्रीय टीम में इंग्लैंड के ख़िलाफ खेलने का अवसर हासिल हुआ। बांए हाथ के बल्लेबाज़ गांगुली सफल एक दिवसीय खिलाडी के रूप में जाने जाते हैं इन्होंने एक दिवसीय मैचों में 11,000 से ज्यादा रन बनाए हैं। यह भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तानों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी कप्तानी में टीम को 49 में से 21 मैचों में सफलता दिलाई है। वर्तमान में वह एक दिवसीय मैच में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाडियों में 5 वें स्थान पर हैं।
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1925 में मशहूर निर्माता-निर्देशक और अभिनेता गुरुदत्त का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम वसंतकुमार शिवशंकर पाडूकोण था। गुरुदत्त हिंदी फ़िल्मों में सबसे कमाल के कलाकारों में से एक माने जाते है।इनकी साहित्यिक रुचि और संगीत की समझ की झलक हमें उनकी सभी फ़िल्मों में देखने को मिलती है। गुरुदत्तएक अच्छे नर्तक भी थे, क्योंकि उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर की शुरूआत प्रभात फ़िल्म्स स्टूडियों से बतौर कोरिओग्राफर के रूप में की थी। 1951 में गुरुदत्तकी पहली फ़ीचर फ़िल्म 'बाज़ी' देवानंद की 'नवकेतन फ़िल्म्स' के बैनर तले रिलीज़ हुई। 1952 में उनकी दूसरी सफल फ़िल्म 'जाल' बनी। 1953 में इन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी से 'बाज़' फ़िल्म का निर्माण किया। प्यासा, क़ागज़ के फूल, चौदहवीं का चांद तथा साहब बीबी और ग़ुलाम जैसी उनकी फ़िल्मों को नायब हिंदी फ़िल्मों की सूची में रखा जाता है। टाइम पत्रिका ने प्यासा और कागज़ के फूल फिल्म को दुनिया की सौ सबसे अच्छी फ़िल्मों में जगह दी थी।गुरुदत्त अपनी फ़िल्मों में कैमरा और प्रकाश व्यवस्था के लिए भी जाने जाते थे।
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1987 में दुनिया की आबादी ने पांच अरब का आंकड़ा छुआ था। इसी वजह से संयुक्त राष्ट्र ने हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज के दिन को जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। भारत और चीन समेत दुनिया के कई विकासशील और विकसित देश बढ़ती जनसंख्या से परेशान हैं। विकासशील देश अपने लोगों की ज़रूरतों और उपलब्ध संसाधनों के बीच सामंजस्य बिठाना चाहते हैं, तो विकास की राह पर आगे बढ़ने की कोशिश में लगे देशों के लिए आबादी का तेज़ी से बढ़ना बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। इस दिन संयुक्त राष्ट्र बढ़ती जनसंख्या से पैदा होने वाले खतरों के बारे में लोगों को जागरुक करने की कोशिश करता है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक केवल भारत में हर मिनट 25 बच्चे पैदा होते हैं। भारत ने अपनी तेज़ी से बढ़ रही जनसंख्या की दर कम करने के लिए जल्द ही कुछ ठोस कदम नहीं उठाएं तो 2030 तक वह विश्व में सबसे बड़ी आबादी वाला राष्ट्र बन जाएगा।
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-1909 में हिन्दी फ़िल्मों के महान फ़िल्म निर्देशक बिमल राय का जन्म पूर्व बंगाल यानी बांग्लादेश में हुआ था। एक जमींदार परिवार में जन्मे बिमल ने अपने करियर की शुरुआत कोलकाता के न्यू थियेटर स्टूडियों में एक कैमरामैन के रूप में की थी । बिमल सन् 1935 में केएल सहगल की फ़िल्म देवदास के सहायक निर्देशक थे। सिनेमा तकनीक पर उनकी मज़बूत पकड़ थी, जिससे उनकी फ़िल्में दर्शकों को प्रभावित करती हैं और दर्शकों को अंत तक बांधकर रखने में सफल रहती हैं। फिल्म 'बैंगल फैमिन' से उन्होंने बतौर निर्देशक अपने कैरियर की शुरुआत की, पर सन् 1953 में आई फिल्म 'दो बीघा जमीन' ने पूरे विश्व के फिल्म जगत में एक अलग ही मुकाम दिलवाया। बिमल के निर्देशन में बनी फिल्में सुजाता ,मधुमती, परिणीता ,बिराज बहू और काबुलीवाला ने लोगों के दिलों में एक अलग छाप छोड़ने में कामयाब रहीं। ग्यारह फिल्मफेयर अवार्ड और छह राष्ट्रीय अवार्ड जीतना ही किसी फिल्म निर्देशक की प्रतिभा का परिचायक होता है, पर बिमल राय ऐसे निर्देशक थे मानो अवार्ड उनके लिए ही बने हों।
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- 1923 में कैलिफोर्निया के शहर लॉस एंजिलिस में माउंट हिल्स के पास जमीन की कीमतों को बढ़ाने के लिए प्रचार के मकसद से 'HOLLYWOOD' लिखा गया था। पैंतालीस फीट ऊंचे और साढ़े तीन सौ फीट लंबी इस आकृति में सफेद रंग के अक्षरों में 'HOLLYWOOD' लिखा गया। शुरुआती आकृति का आकार सिर्फ 50 फीट ऊंचा और 30 फीट चौड़ा था, जिसे बाद में विशालकाय बनाया गया। कुछ वर्षों में अमेरिकी सिनेमा के प्रसार के साथ ही इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई। शुरुआत में यहां Hollywoodland लिखा गया था, ज़मीन जायदाद से ज़्यादा सिनेमा की पहचान बन जाने के बाद 1949 में इसमें बदलाव किए गए और इसमें से 'Land' शब्द अलग कर दिया गया।
- 1971 में मोरक्को में तख़्तापलट करने के लिए फ़ौज के 10 अधिकारियों को मौत की सज़ा दी गई थी। हमले के ठीक 72 घंटे के भीतर ही फौज के चार जनरल, पांच कर्नल और एक मेजर को बिना किसी मुक़दमे और कोर्ट मार्शल के मौत की सज़ा सुनाई गई। उन्हें एक फ़ायरिंग स्कवॉड के सामने खड़ाकर एक के बाद एक गोली मारी गई। सेना के एक ट्रेनिंग सेंटर से तालुक़्क रखने वाले क़रीब 250 बाग़ियों ने शिखारत महल पर ठीक उसी वक़्त हमला किया, जब बादशाह हसन (द्वितीय) अपना 42वां जन्मदिन मना रहे थे। महल से 10 मील दूर स्थित रबात रेडियो, गृह मंत्रालय और सेना मुख्यालय पर भी एक के बाद एक हमले हुए। बागि़यों ने बादशाह को मारकर सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लेने का दावा किया था लेकिन मोरक्को की समाचार एजेंसी ने बाद में ख़बर दी कि बादशाह सुरक्षित हैं, जबकि उनकी वफ़ादार सेना ने सरकारी भवनों में आवाजाही बंद कर दी है और वो रबात की सड़कों पर टैंको के साथ घूम रही है। इस घटना मे बेल्जियम के राजदूत समेत 92 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हुए थे।
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-1958 में इराक़ में सेना के अफसरों के एक समूह ने बगावत कर राजशाही को सत्ता से हटा दिया था और राजा फ़ैसल द्वितीय की हत्या कर दी। बग़दाद रेडियो ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि फ़ौज ने इराक़ी लोगों को 'साम्राज्यवाद के ज़रिये सत्ता में आए कुछ भ्रष्ट लोगों' से आज़ादी दिलवा दी है। घोषणा में कहा गया कि, 'आज के बाद इराक़ एक गणतंत्र है, जो दूसरे अरब देशों से संबंध बनाए रखेगा और साथ ही इस बात की भी जानकारी दी गई कि पड़ोसी देश जॉर्डन में तैनात 12,000 इराक़ी सैनिकों को वापस बुलाया जा रहा है। मेजर जनरल अब्दुल करीम एल क़ासिम को इराक़ का नया प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख भी घोषित कर दिया गया।
-1969 में अमेरिका के वित्त मंत्रालय और फेडरल रिजर्व सिस्टम ने घोषणा की थी कि 500, 1,000, 5,000 और 10,000 डॉलर के नोटों का इस्तेमाल तुरंत प्रभाव से रोक दिया जाएगा, क्योंकि इनका उपयोग बहुत कम हो रहा है। हालांकि सन् 1969 में ये नोट जारी किए जाते रहे। इन्हें सन् 1945 में आखिरी बार प्रिंट किया गया था। अमेरिका में जो सबसे बड़ा नोट सरकार ने छापा था, वह एक लाख डॉलर का गोल्ड सर्टिफिकेट था। यह सिर्फ अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक के ट्रेजरर यानी खजांची ही दे सकते थे और वह भी इतने ही मूल्य की सोने की ईंटें दिए जाने पर। ये नोट सिर्फ रिजर्व बैंकों के बीच लेन-देन के लिए इस्तेमाल होते थे। आम जनता के लिए ये नहीं थे। हालाकि बाद में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम शुरू होने के कारण बहुत ज्यादा कैश लेने देने की प्रथा धीरे-धीरे कम हो गई।
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903 में राजनीति के दिग्गज और सुधारवादी नेता के. कामराज का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम कामाक्षी कुमारस्वामी नादेर था। 15 वर्ष की उम्र में कामराज ने अपने गृह ज़िले में कांग्रेस पार्टी के लिए धन जुटाने का अभियान चलाकर राजनीति में दाखिल हुए। 1937 में उन्हें 'मद्रास विधानसभा' के लिए चुना गया और 1952 के आम चुनाव में लोकसभा की सीट हासिल की। 1954 से 1963 तक वह मद्रास के मुख्यमंत्री रहे और 'कामराज योजना' के अंतर्गत उन्होंने पद छोड़ दिया। इसके बाद उन्हें कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1964 में इन्होंने लाल बहादुर शास्त्री और 1966 में इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाई। कामराज को राजनीति का किंग मेकर कहा जाता है। इन्हें राजनीति में अहम योगदान के लिए भारत रत्न पुरस्कार से नवाज़ा गया।
1909 में आंध्र प्रदेश की पहली महिला नेता दुर्गाबाई देशमुख का जन्म हुआ था। 1923 में इन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय खोला। गांधीजी ने इस प्रयत्न की सराहना करते हुए दुर्गाबाई को स्वर्णपदक से सम्मानित किया था। नमक सत्याग्रह में इन्होंने मशहूर नेता टी. प्रकाशम के साथ हिस्सा लिया था। 1930 में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और एक वर्ष की सज़ा सुनाई गई। सज़ा काटकर जब वह बाहर आई तो फिर से आंदोलन में भाग लिया। इनकी दुबारा गिरफ्तारी हुई और तीन वर्ष के लिए सज़ा सुनाई गई। 1946 में दुर्गाबाई लोकसभा और संविधान परिषद् की सदस्य चुनी गईं, साथ ही कई समाजसेवी और महिलाओं के उत्थान से संबंधित संस्थाओं की सक्रिय सदस्य रहीं।
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1909 में मशहूर स्वतंत्रता सेनानी और नेता अरुणा आसफ़ अली का जन्म हुआ था। 1942 के ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो’ आंदोलन में इनका अहम योगदान था। गांधीजी आदि नेताओं की गिरफ्तारी के तुरंत बाद मुंबई में विरोध सभा आयोजित करके इन्होंने विदेशी सरकार को खुली चुनौती दी थी। 1942 से 1946 तक देशभर में सक्रिय रहकर भी वो पुलिस की पकड़ में नहीं आईं। 1946 में जब उनके नाम का वारंट रद्द हुआ, तभी वो सामने आयीं और सारी सम्पत्ति जब्त करने पर भी इन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया। 1947 में अरुणा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा निर्वाचित की गईं। दिल्ली में कांग्रेस संगठन को इन्होंने मज़बूत किया। 1948 में यह 'सोशलिस्ट पार्टी' में शामिल हुईं और दो साल बाद इन्होंने अलग से ‘लेफ्ट स्पेशलिस्ट पार्टी’ बनाई और सक्रियता से 'मज़दूर-आंदोलन' में जी जान से जुट गईं। 1955 में इस पार्टी का 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी' में विलय हो गया।1964 में अरुणा को लेनिन शांति पुरस्कार, 1991 में जवाहरलाल नेहरू अंतरराष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार,1992 में पद्म विभूषण और 1997 में मरणोपरांत इन्हें भारत रत्न पुरस्कार से नवाज़ा गया।
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SAMARPAN is an ode to the dedicated team of ASHI, Haryana and Ashiana Children's Home, as they mark their Golden Jubilee this year in 2019. Available in Hindi and English Subtitles.
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Association for Social Health in India (ASHI) is a Voluntary and Social Organization aiming at challenging those conditions that lead to exploitation of women and children for anti-social purposes by providing shelter for Destitute & Orphan children and arranging for their education, vocational training and rehabilitation are one of the Association’s main activities. The Governor of Haryana, their Chief Patron, visits the Home once a year to encourage and bless the children.
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