DBLIVE | 23 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

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1908 में मशहूर कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' का जन्म हुआ था। 1934 में बिहार सरकार के अधीन दिनकर ने सब-रजिस्ट्रार के पद पर काम करना शुरू किया। लगभग नौ वर्षों तक वह इस पद पर बने रहे। 1947 में यह बिहार विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष नियुक्त किए गए। 1952 में जब भारत की पहली संसद का निर्माण हुआ, तो इन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया और वह दिल्ली आ गए। भारत सरकार ने दिनकर को 1965 से 1971 तक अपना हिन्दी सलाहकार नियुक्त किया। इसी दौरान इन्होंने ज्वारा उमरा, रेणुका, हुंकार और रसवंती आदि रचनाएं कीं। रश्मिरथी, उर्वशी, कुरुक्षेत्र, संस्कृति के चार अध्याय, परशुराम की प्रतीक्षा, हाहाकार, चक्रव्यूह, आत्मजयी, वाजश्रवा के बहाने आदि इनकी नायाब रचनाएं हैं। दिनकर को अपनी बेहतरीन रचनाओं के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण समेत कई अन्य सम्मानों से नवाज़ा गया।.

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  • Watch DB LIVE | 02 SEPTEMBER 2016 | TODAY
    DB LIVE | 02 SEPTEMBER 2016 | TODAY'S HISTORY| 2 SEPTEMBER HISTORY

    1941 में मशहूर अभिनेत्री साधना शिवदासानी का जन्म हुआ था। साधना ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म 'अबाणा' से की थी। अपने बालों की स्टाइल की वजह से साधना बहुत पसंद की गईँ और उनका यह हेयर स्टाइल साधना कट के नाम से जाना जाता है। 'लव इन शिमला', 'मेरे महबूब', 'आरज़ू', 'वक़्त', 'मेरा साया', 'इश्क पर ज़ोर नहीं', 'परख', 'प्रेमपत्र', 'गबन', 'एक फूल दो माली' और 'गीता मेरा नाम' आदि इनकी बेहतरीन फिल्में हैं। 2002 में साधना को अंतरराष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी यानी आईफा की ओर से लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाज़ा गया।

    1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान ने बिना किसी शर्त आत्मसमर्पण किया था। जापानी अधिकारियों ने मित्र सेनाओं के क़रीब 50 जनरलों और उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में आत्मसमर्पण के कागज़ातों पर दस्तख़त किए और इसी के साथ छह वर्षों से चल रहा दूसरा विश्व युद्ध औपचारिक रूप से ख़त्म हो गया। छह अगस्त को अमेरिका ने युद्ध के दौरान मानव इतिहास में पहली बार जापान के हिरोशिमा शहर में परमाणु बम गिराया था। दूसरा बम तीन दिन बाद नागासाकी शहर पर गिराया गया। जापान के सम्राट हिरोहितो ने युद्ध के दौरान जापानी अधिकारियों और सैनिकों की ओर से किए गए सारे अपराधों की ज़िम्मेदारी खुद लेने का प्रस्ताव किया, लेकिन यह प्रस्ताव पारित नहीं हुआ।

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  • Watch 5 December History: क्यों World के लिए है आज ख़ास दिन | History | Today History | Khabarfast | Video
    5 December History: क्यों World के लिए है आज ख़ास दिन | History | Today History | Khabarfast |

    5 December History: क्यों World के लिए है आज ख़ास दिन | History | Today History | Khabarfast |
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  • Watch DBLIVE | 6 September 2016 | Today
    DBLIVE | 6 September 2016 | Today's History

    1915 में इंग्लैंड में पहले युद्धक टैंक का निर्माण किया गया था। इस टैंक का नाम 'लिटिल विली' था। टैंक का वजन क़रीब 14 टन था। परीक्षण के दौरान इस टैंक में काफी मुश्किलें आईं, लेकिन आगे चलकर इसी प्रोटोटाइप में काफी सुधार किए गए और इसे युद्ध मैदान में उतारने लायक बनाया गया। 1918 में सामने आए सुधरे हुए मॉडल को 'बिग विली' का नाम दिया गया। 'मार्क वन' नाम के टैंक का पहला इस्तेमाल फ्रांस में किया गया, जिसके बाद दूसरे विश्व युद्ध में टैंकों का खूब इस्तेमाल हुआ। 1914 में ब्रिटिश आर्मी के कर्नल अर्नेस्ट स्विंटन और विलियम हैंके ने सबसे पहले युद्धक वाहन की परिकल्पना पेश की थी।


    1965 में भारतीय सेना ने तीन जगहों से सीमा पारकर पश्चिमी पाकिस्तान पर हमला कर दिया था। कहा जाता है कि इस सैन्य कार्रवाई का मक़सद लाहौर को निशाना बनाना था, लेकिन भारतीय अधिकारियों का कहना था कि यह कार्रवाई भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तानी हमले को रोकना था। 25 अगस्त 1965 को पाकिस्तानी सेना ने 1949 की युद्धविराम रेखा का उल्लंघन करते हुए एक गुपचुप अभियान चलाया था। यह रेखा 1949 की भारत-पाक लड़ाई के बाद भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में क़ायम की गई थी। जिसके बाद इस रेखा के आसपास कई छोटी-मोटी गोलीबारी हुई थी, लेकिन भारतीय सेना ने पश्चिमी पाकिस्तान पर पहली बार हमला किया था।

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    DBLIVE | 26 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    1923 में मशहूर अभिनेता और निर्माता-निर्देशक देवानंद का जन्म हुआ था। इनका मूल नाम धर्मदेव आनंद था। देव आनंद का नाम हिंदी सिने जगत में स्टाइल गुरु से मशहूर है। देवानंद को बतौर अभिनेता फिल्मों में पहला ब्रेक 1946 में प्रभात स्टूडियो की फ़िल्म ‘हम एक हैं’ से मिला, लेकिन इस फ़िल्म के असफल होने से वह दर्शकों के बीच अपनी पहचान नहीं बना सके। इस फ़िल्म के निर्माण के दौरान प्रभात स्टूडियो में उनकी मुलाकात मशहूर फ़िल्म निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त से हुई, जो उन दिनों फ़िल्मी दुनिया में कोरियोग्राफर के रूप में स्थान बनाने के लिए संघर्षरत थे। वहां दोनों की दोस्ती हुई और एक साथ सपने देखते इन दोनों दोस्तों ने आपस में एक वादा किया कि अगर गुरुदत्त फ़िल्म निर्देशक बनेंगे, तो वो देव को अभिनेता के रूप में लेंगे और अगर देव निर्माता बनेंगे, तो गुरुदत्त को निर्देशक के रूप में लेंगे। 1948 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'जिद्दी' से देवानंद को पहचान मिली। 1949 में इन्होंने नवकेतन बैनर नाम से खुद की फ़िल्म निर्माण संस्था खोली और उसके ज़रिए साल दर साल फ़िल्में बनाने में सफल हुए। नवकेतन के बैनर तले 1950 में इन्होंने अपनी पहली फ़िल्म ‘अफसर’ का निर्माण किया। 1951 में इन्होंने अपनी अगली फ़िल्म ‘बाज़ी’ के निर्देशन की ज़िम्मेदारी गुरुदत्त को सौंप दी। ‘गाइड’, ‘हम दोनों’, ‘बाज़ी’, ‘काला बाज़ार’, ‘असली-नक़ली’, ‘ज्वेलथीफ़’ और ‘जॉनी मेरा नाम’ इनकी बेहतरीन फ़िल्में हैं। देवानंद को 2001 में पद्म भूषण, 2002 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और दो बार फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार से नवाज़ा गया।

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    DBLIVE | 8 September 2016 | Today's History

    1926 में मशहूर गीतकार, संगीतकार, गायक और अभिनेता भूपेन हज़ारिका का जन्म हुआ था। इन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता और फ़िल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में भी काम किया है। भूपेंद्र पहली ऐसी शख़्सियत थे, जिन्होंने असमिया संस्कृति को विश्व मंच तक पहुंचाया। इन्होंने 10 वर्ष की उम्र में अपना पहला गीत लिखा और गाया। असमिया भाषा की फ़िल्मों से भी उनका नाता बचपन में ही जुड़ गया था। 1939 में 12 वर्ष की उम्र में भूपेन ने असमिया भाषा में निर्मित फ़िल्म इंद्रमालती में काम किया। भूपेन क़रीब 70 साल तक पूर्वोत्तर के साथ बॉलीवुड में भी अपनी आवाज़ की वजह से छाए रहे। इन्हें पद्म विभूषण, पद्मभूषण, पद्मश्री, दादा साहब फाल्के पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया है।

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  • Watch DBLIVE | 27 September 2016 | Today
    DBLIVE | 27 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    1905 में महान जर्मन वैज्ञानिक अल्फ्रेड आइंस्टीन ने सापेक्षता का सिद्धांत पेश किया था। E=mc² सिद्धांत ने भौतिक, रसायन और परमाणु विज्ञान में क्रांति ला दी। इस सिद्घांत से किसी भी पदार्थ से कितनी ऊर्जा निकल सकती है, उसका आकलन किया जा सकता है। पदार्थ में ऊर्जा का पता लगाने के लिए, पदार्थ के द्रव्यमान को प्रकाश की गति के वर्ग से गुणा किया जाता है। इस समीकरण से आधुनिक क्वांटम फिजिक्स का जन्म हुआ। 1921 में इन्हें फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट सिद्धांत के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी सिद्धांत की बदौलत आज सभी सेंसर चलते हैं। 1933 में आइंस्टीन अमेरिका गए थे, इसी दौरान जर्मनी में अडोल्फ हिटलर ने सत्ता संभाल ली, जिसके चलते आइंस्टीन वापस जर्मनी नहीं लौटे और अमेरिका में ही बस गए। आइंस्टीन को आशंका थी कि नाजी एटम बम बनाने के करीब पहुंच गए हैं। उन्होंने दुनियाभर के नेताओं को परमाणु हथियार के खतरों से वाकिफ भी कराया और कहा कि इंसानियत के ख़िलाफ़ इतनी बड़ी भूल न करें। आइंस्टीन महात्मा गांधी के बड़े प्रशंसक थे। 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद अपने शोक संदेश में आइंस्टीन ने कहा, आने वाली पीढ़ियां इस बात पर यकीन ही नहीं करेंगी कि कभी इस धरती पर इस तरह का आदमी भी था।

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    DBLIVE | 8 September 2016 | Today's History

    आंध्र प्रदेश को भले ही विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला हो, लेकिन केंद्र सरकार ने स्पेशल पैकेज देने का ऐलान किया है। इस पैकेज के तहत राज्य को वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिसमें पोल्लावरम सिंचाई परियोजना का पूरा खर्च उठाना और कर रियायतें देना शामिल है।
    ...केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्र सरकार के इस फैसले की घोषणा की जिसका मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने स्वागत किया है। वेंकैया नायडू की मानें तो राज्य सरकार को केंद्र सभी तरह से वित्त सहयोग देगा। स्पेशल पैकेज में राज्य को दो कर रियायतें भी दी जाएंगी जिसकी पूरी जानकारी अधिसूचना सीबीडीटी जल्द देगा। इसके साथ ही राज्य को बाहरी मदद वाली परियोजनाएं मुहैया कराई जाएंगी। तेलंगाना के गठन के कारण वित्तीय रूप से नुकसान झेल रहे आंध्र प्रदेश को एक रेलवे जोन भी मिलेगा

    Watch DBLIVE | 8 September 2016 | Andhra Pradesh gets package but no special status With HD Quality

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  • Watch DBLIVE | 28 September 2016 | Today
    DBLIVE | 28 September 2016 | Today's History | आज का इतिहास

    1838 में बहादुरशाह जफर दिल्ली के सिंहासन पर क़ाबिज़ हुए थे। अपने पिता अकबर शाह द्वितीय के निधन के बाद उन्हें दिल्ली की बादशाहत हासिल हुई। बादशाह बनते ही उन्होंने सबसे पहले गोहत्या पर रोक का फरमान सुनाया। जफर हिन्दू-मुस्लिम एकता के बहुत बड़े पक्षधर थे। बहादुरशाह जफर मुगल साम्राज्य के आख़िरी शहंशाह थे। उन्होंने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया। शुरुआती परिणाम हिंदुस्तानी योद्धाओं के पक्ष में रहे, लेकिन बाद में अंग्रेजों के छल-कपट के चलते प्रथम स्वाधीनता संग्राम का रुख बदल गया और अंग्रेज़ बगावत को दबाने में कामयाब हो गए। बहादुर शाह जफर ने हुमायूं के मकबरे में शरण ली, लेकिन मेजर हडस ने उन्हें, उनके बेटों मिर्जा मुगल और खिजर सुल्तान और पोते अबू बकर के साथ पकड़ लिया। युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने इन्हें म्यांमार भेज दिया जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। बहादुरशाह जफर एक देशभक्त मुगल बादशाह ही नहीं, बल्कि एक मशहूर शायर भी थे। उन्होंने कई मशहूर नज़्में उर्दू में लिखीं, लेकिन इनकी अधिकांश रचनाओं को अंग्रेजों ने नष्ट कर दिया। देश से बाहर रंगून में भी इनकी नज़्मों को ख़ूब पसंद किया गया।

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  • Watch DBLIVE | 9 September 2016 | Today
    DBLIVE | 9 September 2016 | Today's History

    1850 में मशहूर लेखक और पत्रकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म हुआ था। इन्हें आधुनिक हिन्दी साहित्य का जनक कहा जाता है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जब साहित्य के क्षेत्र में आए, तब देश ग़ुलामी की ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ था। लोगों में हिन्दी के प्रति प्रेम कम था, क्योंकि अंग्रेज़ी की नीति से हमारे साहित्य पर बुरा असर पड़ रहा था। भारतेंदु ने सबसे पहले समाज और देश की दशा पर विचार किया और फिर अपनी लेखनी के माध्यम से विदेशी हुकूमत का पर्दाफ़ाश किया। प्रेममालिका, प्रेम माधुरी, प्रेम-तरंग, अंधेर नगरी, भारत दुर्दशा, कृष्णचरित्र आदि इनकी बेहतरीन रचनाएं हैं। हिन्दी साहित्य को इन्होंने विशेष समृद्धि प्रदान की है। इन्होंने दोहा, चौपाई, छन्द, बरवै, हरि गीतिका, कवित्त और सवैया आदि पर भी काम किया। इन्होंने न केवल कहानी और कविता के क्षेत्र में काम किया, बल्कि नाटक के क्षेत्र में भी अपना विशेष योगदान दिया। 35 वर्ष की अल्पायु में भारतेंदु ने 72 ग्रंथों की रचनाएं कीं।

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