1858 में ब्रिटिश सरकार ने 'गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट' पारित किया था। 1857 में मंगल पांडे और उनके साथियों ने मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह शुरू किया था। पूरे भारत में कंपनी की नीतियों से परेशान जनता ने पहली बार एक होकर अंग्रेजों के खिलाफ कुछ करने का संकल्प लिया। ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर विद्रोही सैनिकों पर हावी हो गए और विद्रोह को दबा दिया गया। गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट के तहत भारत ईस्ट इंडिया कंपनी की जागीर नहीं रहा, बल्कि पूरी तरह ब्रिटिश रानी का उपनिवेश बन गया। यह सब 1857 के विद्रोहियों को शांत करने के लिए किया गया था। ब्रिटिश सरकार ने माना कि भारत पर शासन में बहुत गलतियां हुईं और कहा कि ब्रिटिश रानी के अधिकार में आने से भारत की परेशानियां दूर हो जाएंगी। इस कानून के तहत भारत के लिए रानी का एक खास सचिव नियुक्त किया जाना था, जिसपर भारत की देखरेख जिम्मेदारी थी। रानी ने भारत के लिए एक गवर्नर जनरल भी नियुक्त किया। गवर्नर जनरल को भारत के सैन्य, कानूनी और सामाजिक मामलों पर फैसले लेने का पूरा अधिकार दिया गया।
1861 में भारत में रसायन विज्ञान के जनक माने जाने वाले आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय का जन्म हुआ था। इन्होंने आज़ादी के आंदोलन में अहम योगदान दिया। असहयोग आंदोलन के दौरान प्रफुल्ल चंद्र ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रचनात्मक कार्यों के लिए आर्थिक सहायता भी दी। 1889 में प्रफुल्ल प्रेसिडेंसी कॉलेज में रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर नियुक्त किए गए।.
1858 में ब्रिटिश सरकार ने 'गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट' पारित किया था। 1857 में मंगल पांडे और उनके साथियों ने मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह शुरू किया था। पूरे भारत में कंपनी की नीतियों से परेशान जनता ने पहली बार एक होकर अंग्रेजों के खिलाफ कुछ करने का संकल्प लिया। ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर विद्रोही सैनिकों पर हावी हो गए और विद्रोह को दबा दिया गया। गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट के तहत भारत ईस्ट इंडिया कंपनी की जागीर नहीं रहा, बल्कि पूरी तरह ब्रिटिश रानी का उपनिवेश बन गया। यह सब 1857 के विद्रोहियों को शांत करने के लिए किया गया था। ब्रिटिश सरकार ने माना कि भारत पर शासन में बहुत गलतियां हुईं और कहा कि ब्रिटिश रानी के अधिकार में आने से भारत की परेशानियां दूर हो जाएंगी। इस कानून के तहत भारत के लिए रानी का एक खास सचिव नियुक्त किया जाना था, जिसपर भारत की देखरेख जिम्मेदारी थी। रानी ने भारत के लिए एक गवर्नर जनरल भी नियुक्त किया। गवर्नर जनरल को भारत के सैन्य, कानूनी और सामाजिक मामलों पर फैसले लेने का पूरा अधिकार दिया गया।
1861 में भारत में रसायन विज्ञान के जनक माने जाने वाले आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय का जन्म हुआ था। इन्होंने आज़ादी के आंदोलन में अहम योगदान दिया। असहयोग आंदोलन के दौरान प्रफुल्ल चंद्र ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रचनात्मक कार्यों के लिए आर्थिक सहायता भी दी। 1889 में प्रफुल्ल प्रेसिडेंसी कॉलेज में रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर नियुक्त किए गए।
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1913 में मशहूर तिलिस्मी लेखक देवकीनन्दन खत्री का निधन हुआ था। चंद्रकांता, चंद्रकांता संतति, भूतनाथ, काजर की कोठरी, नरेंद्र-मोहिनी आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं। इनके उपन्यास 'चंद्रकांता' ने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में अहम योगदान दिया। 1898 में खत्री ने अपना निजी प्रेस खोला, जिसका नाम लहरी प्रेस रखा। देवकीनन्दन ने उपन्यासों में कई अय्यारों और पात्रों के नाम अपने दोस्तों के नाम पर रखे। इस तरह से उन्होंने अपने कई घनिष्ट मित्रों और संगी साथियों को अपनी रचनाओं से अमर बना दिया।
1932 में बॉलीवुड में ट्रेजेडी क्वीन के नाम से पुकारी जाने वाली मीना कुमारी का जन्म हुआ था। मीना कुमारी का असली नाम महजबीन बानो था। 1939 में बतौर बाल कलाकार मीना कुमारी ने विजय भट्ट की फ़िल्म 'लेदरफेस' से अपने करियर की शुरुआत की थी। बॉलीवुड में अपनी पहचान तलाशती मीना कुमारी ने लगभग दस वर्षों तक संघर्ष किया। इस बीच उन्होंने 'वीर घटोत्कच' और 'श्री गणेश महिमा' जैसी फ़िल्मों में काम किया, लेकिन दर्शकों के दिलों में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब नहीं रहीं। 1952 में मीना को विजय भट्ट के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'बैजू बावरा' में काम करने का मौक़ा मिला। इस फ़िल्म की सफलता के बाद मीना बतौर अभिनेत्री फ़िल्म जगत में अपनी पहचान बनाने में सफल रहीं। 'फूल और पत्थर', 'साहेब बीबी और ग़ुलाम', ‘परिणीता’, ‘पाकीज़ा’, ‘दिल एक मंदिर’, ‘बंधन’ आदि इनकी नायाब फ़िल्में हैं।
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1. 1903 में नॉर्वे के रोल्ड अमंडसेन ने कनाडा के द्वीपों को पार कर अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले समुद्री मार्ग की खोज की थी। इस रास्ते को नॉर्थवेस्ट पैसेज कहते हैं। उन्होंने यह यात्रा मछली पकड़ने वाले जहाज ग्योआ से की थी। उनके साथ इस खोज में तीन लोग थे। इस दौरान आर्कटिक में रहने वाले लोगों से उन्होंने ठंड से लड़ने के कई तरीके भी सीखे। ध्रुव में रह रहे नेटसिलिक लोगों ने उन्हें जानवरों की खाल के बने खास कपड़ों के बारे में बताया। वर्ष 1928 में उत्तरी ध्रुव से आ रहे एक जहाज के लापता होने के बाद अमंडसेन राहत पहुंचाने और जहाज को ढूंढने गए लेकिन खुद मौसम का शिकार हुए और खो गए। उसके बाद किसी ने उन्हें कभी नहीं देखा।
2…1920 में भारत के प्रसिद्ध राजनेताओं में से एक और मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल महमूद अली ख़ां का जन्म हुआ था । इन्होंने वर्ष 1943 से कांग्रेस सदस्य के रूप में राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी प्रारम्भ कर दी थी। महमूद अली ख़ां 'उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग' के लिए 6 वर्षों के लिए सदस्य नियुक्त किए गए थे। वर्ष 1980 के बाद उन्होंने स्वयं को पूरी तरह से सक्रिय राजनीति से अलग रखा और सांप्रदायिक सद्भाव के कार्यों तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में गहरी दिलचस्पी लेते रहे। चन्द्रशेखर के नेतृत्व वाली 'जनता पार्टी' के सदस्य भी बने रहे।
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1894 में मशहूर साहित्यकार प्रताप नारायण मिश्र का निधन हुआ था। मिश्रजी भारतेन्दु मंडल के प्रमुख लेखकों में से एक थे। उन्होंने हिन्दी साहित्य के विविध रूपों में सेवा की। वे कवि होने के साथ-साथ एक बेहतरीन मौलिक निबंध लेखक और नाटककार थे। 1883 में अपने कई मित्रों के सहयोग से मिश्र जी ने 'ब्राह्मण' नामक मासिक पत्र निकाला। यह पत्र अपने रूप-रंग में ही नहीं, विषय और भाषा-शैली की दृष्टि से भी भारतेंदु युग का मशहूर पत्र था। प्रार्थना शतक, प्रेम पुष्पावली, मन की लहर आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं।
1901 में भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था। डॉ. मुखर्जी 33 वर्ष की आयु में 'कलकत्ता विश्वविद्यालय' में विश्व के सबसे कम उम्र के कुलपति बनाए गए थे। पिता के निधन के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय में एडवोकेट के रूप में अपना नाम दर्ज कराया। 1926 में 'लिंकन्स इन' में अध्ययन करने के लिए मुखर्जी इंग्लैंड चले गए और 1927 में बैरिस्टर बन गए। जिस समय अंग्रेज़ अधिकारियों और कांग्रेस के बीच देश की स्वतंत्रता के मुद्दे पर बात चल रही थी और मुस्लिम लीग देश के विभाजन की अपनी ज़िद पर अड़ी हुई थी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस विभाजन का कड़ा विरोध किया।
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1929 में 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी' के मशहूर नेता सोमनाथ चटर्जी का जन्म हुआ था। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत वकालत से की थी। 1968 में यह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बनने के बाद सक्रिय राजनीति में शामिल हुए। सोमनाथ पहली बार 1971 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। लोकसभा में यह दसवीं बार निर्वाचित हुए है। 1989 से 2004 तक वह लोकसभा में सीपीआई(एम) के नेता रहे। लोकसभा चुनाव में ज्यादा मतों से जीतना, जनता के बीच उनकी लोकप्रियता, पार्टी में उनके स्थान तथा सांसद के रूप में उनके कद्दावर व्यक्तित्व की झलक पेश करता है। 1996 में सोमनाथ ने 'उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार' हासिल किया था।
1943 में इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने सैन्य बल और सरकार के मुखिया का पद छोड़ दिया था। फासिस्ट ग्रांड काउंसिल ने मुसोलिनी के साथियों के बाग़ी होने के बाद बैठक की। इससे राजा इमैनुएल को बल मिला और उन्होंने मुसोलिनी को बर्ख़ास्त कर दिया। इमैनुएल ने सेना का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया और मार्शल पायत्रो बादोग्लिओ को इटली के नए प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया। रोम रेडियो ने मुसोलिनी के सत्ता छोड़ने की ख़बर सुनाई, जिसके बाद इटली का राष्ट्रगान बजाया गया। यह एक बड़ा बदलाव था। इससे पहले समाचारों के अंत में हमेशा तानाशाही का गीत, 'जियोवेनेसा' बजाया जाता था।
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1..1576 को हॉलैंड में स्पेन के विरुद्ध जनविरोध का नेतृत्व करने वाले विलियम दि साइलेन्ट ने देश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी। यह विद्रोह वर्ष 1568 में तेज़ हुआ था और हॉलैंड के सात राज्यों के एक साथ मिल जाने के बाद स्वतंत्र देश की स्थापना के लिए ज़मीन तैयार हो गई। हॉलैंड की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद भी स्पेन के सैनिकों ने हॉलैंड की जनता का दमन जारी रखा। 1609 को हॉलैंड के नेताओं और स्पेन के नरेश के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जो वास्तव में हॉलैंड की स्वतंत्रता को औपचारिकता प्रदान करने के अर्थ में था। स्वतंत्र होने के बाद हॉलैंड ने दूसरे देशों के अतिग्रहण का अभियान आरंभ किया था।
2.. 1632 में मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज़ महल का निधन हुआ था। मुमताज़ महल की याद में शाहजहां ने ताजमहल बनाने का फैसला किया, जिसके निर्माण में 22 साल लगे। मुमताज़ महल का असली नाम अर्जुमंद बानो था। 14 साल की उम्र में मुमताज़ महल की सगाई शाहजहां के साथ हुई थी। सगाई के पांच साल बाद 10 मई, 1612 को शाहजहां से मुमताज़ का निकाह हुआ। मुमताज़ महल बहुत अच्छी शतरंज खिलाड़ी भी थीं और उन्हें शाहजहां से भी अच्छा खिलाड़ी माना जाता था। मुमताज़ महल के जनाज़े को एक विशाल जुलूस के साथ आगरा ले जाया गया और ताजमहल के गर्भगृह में दफना दिया गया। इस जुलूस पर उस समय आठ करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
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1981 में मशहूर भारतीय क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी का जन्म हुआ था। धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज़ हैं। दाएं हाथ के बल्लेबाज़ धोनी ने अपना क्रिकेट करियर बिहार अंडर-19 से शुरू किया था। धोनी को 1998 से 1999 के दौरान कूच बिहार ट्रॉफी से क्रिकेट में पहचान मिली। इस टूर्नामेंट में धोनी ने 9 मैचों में 488 रन बनाए और 7 स्टपिंग भी किए। इस प्रदर्शन के बाद उन्हें 2000 में पहली बार रणजी में खेलने का मौका मिला। 18 वर्ष की उम्र में धोनी ने बिहार की टीम से रणजी में दाखिल हुए। रणजी में खेलते हुए 2003 से 2004 तक कड़ी मेहनत की वजह से धोनी को जिम्बॉब्वे और केन्या दौरे के लिए भारतीय ‘ए’ टीम में चुना गया। जिम्बॉब्वे के ख़िलाफ़ उन्होंने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 7 कैच और 4 स्टंपिंग की। इस दौरे पर धोनी ने 7 मैचों में 362 रन भी बनाए। धोनी भारत को दो क्रिकेट विश्व कप जिताने वाले पहले कप्तान हैं। क्रिकेट में बेहतरीन प्रर्दशन के लिए धोनी को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
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1921 में इंसुलिन के इंक्जेक्शन की खोज हुई थी। टोरंटो यूनिवर्सिटी के दो वैज्ञानिकों फ्रेडरिक बैंटिंग और चार्ल्स बेस्ट ने इंसुलिन नाम के हार्मोन को इंसान के शरीर से अलग करने में सफलता पाई। इन वैज्ञानिकों ने कुत्तों पर पहले डायबिटीज़ बीमारी पनपाई और फिर उन्हें इंसुलिन के इंक्जेशन दिए। धीरे-धीरे कुत्ते बीमारी से बाहर आ गए। दो महीने बाद बैंटिंग ने यूनिवर्सिटी के ही दूसरे वैज्ञानिक जेजेआर मैक्लॉयड के साथ इंसुलिन का इंसान पर सफल परीक्षण किया। डायबिटीज़ से पीड़ित एक 14 साल का बच्चा चमत्कारिक ढंग से ठीक हो गया। इसके बाद टोरंटो यूनिवर्सिटी ने दवा कंपनियों को इंसुलिन बनाने का लाइसेंस दिया। यूनिवर्सिटी ने दरियादिली दिखाते हुए लाइसेंस के लिए कोई रॉयल्टी नहीं मांगी। उसे मुफ्त में दे दिया गया।
1992 में मशहूर फिल्म अभिनेता अमजद ख़ान का निधन हुआ था। 1975 में रिलीज़ हुई फिल्म 'शोले' के पात्र गब्बर से अमजद ख़ान दर्शकों के दिलों में अपनी छवि बनाने में क़ामयाब रहे। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर बाल कलाकार 1957 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं' से की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद अमजद निर्देशक के.आसिफ़ के साथ असिस्टेंट के रूप में काम करने लगे। बतौर कलाकार अमजद खान की पहली फिल्म 'मुहब्बत और ख़ुदा' थी, जिसमें वह अभिनेता संजीव कुमार के गुलाम की भूमिका में दिखे थे। अपने 16 साल के फ़िल्मी करियर के दौरान अमजद ने लगभग 120 फिल्मों में काम किया। 'सुहाग', 'हम किसी से कम नही', 'चक्कर पे चक्कर', 'लावारिस', 'गंगा की सौगंध', 'बेशर्म', 'याराना', 'देश-परदेस”, शोले इनकी नायाब फ़िल्में हैं।
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1887 में भारतीय राजनेता और बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण सिंह का जन्म हुआ था। इन्हें 'बिहार विभूति' के नाम से भी जाना जाता है। बिहार के विकास में अनुग्रह नारायण का योगदान अतुलनीय है। इन्होंने बिहार का प्रशासनिक ढांचा तैयार किया था और राज्य के प्रथम उप मुख्यमंत्री और सह वित्तमंत्री के रूप में 11 वर्षों तक बिहार की सेवा की। श्रम मंत्री के रूप में अनुग्रह नारायण ने ‘बिहार केन्द्रीय श्रम परामर्श समिति’ के ज़रिए श्रम प्रशासन तथा श्रमिक समस्याओं के समाधान के लिए जो नियम और प्रावधान बनाए, वो आज पूरे देश के लिए मापदंड के रूप में काम करते हैं। महात्मा गांधी के साथ मिलकर अनुग्रण ने अंग्रेजों के विरुद्ध चम्पारण से अपना सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था।
1946 में डॉ. राम मनोहर लोहिया की अगुवाई में गोवा में पुर्तगाल के शासन के खिलाफ पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ था। गोवा की आज़ादी की इस लड़ाई को इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया था। डॉ. लोहिया ने गोवा के लोगों को एकजुट होने और पुर्तग़ाली शासन के ख़िलाफ़ लड़ने का संदेश दिया था। गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त करवाने में कई साल और लग गए और लंबा आंदोलन चला। भारतीय सेना ने गोवा पर राज कर रहे पुर्तगालियों पर आक्रमण किया और आख़िरकार तत्कालीन पुर्तगाल गवर्नर जनरल ने हथियार डाल दिए और वर्ष 1961 को गोवा वापस भारत के कब्ज़े में आ गया।
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1965 में चोर गैंग का सदस्य रोनाल्ड बिग्स अपने तीन अन्य क़ैदियों के साथ ब्रिटेन जेल की 30 फीट ऊंची दीवार फांदकर फरार हो गया था। इस चोर गैंग ने 1963 में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच चलने वाली पोस्ट ऑफिस ट्रेन में डकैती की थी। एक सौ पच्चीस साल से चल रही इस ट्रेन को अचानक एक स्टेशन पर लाल बत्ती दिखा कर रोका गया और लुटेरे 20 लाख पाउंड लेकर फरार हो गए। ये ब्रिटेन में किसी ट्रेन में होने वाली अब तक की सबसे बड़ी डकैती मानी जाती है।
1972 में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का जन्म हुआ था। बंगाल में जन्मे गांगुली को उनके भाई स्नेहाशीष गांगुली ने क्रिकेट जगत से रू-ब-रू कराया था। सौरव ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत स्कूल और राज्य स्तरीय क्रिकेट टीम से की। कई क्षेत्रीय टूर्नामेंटों जैसे रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी आदि में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद गांगुली को राष्ट्रीय टीम में इंग्लैंड के ख़िलाफ खेलने का अवसर हासिल हुआ। बांए हाथ के बल्लेबाज़ गांगुली सफल एक दिवसीय खिलाडी के रूप में जाने जाते हैं इन्होंने एक दिवसीय मैचों में 11,000 से ज्यादा रन बनाए हैं। यह भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तानों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी कप्तानी में टीम को 49 में से 21 मैचों में सफलता दिलाई है। वर्तमान में वह एक दिवसीय मैच में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाडियों में 5 वें स्थान पर हैं।
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SAMARPAN is an ode to the dedicated team of ASHI, Haryana and Ashiana Children's Home, as they mark their Golden Jubilee this year in 2019. Available in Hindi and English Subtitles.
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Association for Social Health in India (ASHI) is a Voluntary and Social Organization aiming at challenging those conditions that lead to exploitation of women and children for anti-social purposes by providing shelter for Destitute & Orphan children and arranging for their education, vocational training and rehabilitation are one of the Association’s main activities. The Governor of Haryana, their Chief Patron, visits the Home once a year to encourage and bless the children.
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