DB LIVE | 20 JAN 2017 | Aaj ka itihas, todays History

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1893 में फ़्रांस ने अपने एशियाई उपनिवेशों में विस्तार करते हुए लाओस क्षेत्र को भी अपने उपनिवेश में शामिल किया था। दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित लाओस 52 सालों तक फ़्रांस के अधिकार में रहा। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में लाओस कुछ वक्त के लिए जापान के अधिकार में चला गया, लेकिन थोड़े ही समय बाद फ़्रांस की सेना ने जापानियों को इस क्षेत्र से बाहर निकाल दिया। 1949 में लाओस स्वाधीन देश के रुप में फ़्रांस संघ में शामिल हो गया, लेकिन लाओस की जनता ने फ्रांस के खिलाफ विद्रोह किया। आखिरकार भारत और चीन के साथ युद्ध में हारने के बाद फ़्रांस की सरकार लाओस को स्वतंत्र करने पर मजबूर हो गई और 1954 में लाओस एक स्वतंत्र देश बन गया।

1948 में भारत के प्रसिद्ध नाटककार और रंगमंच निर्देशक रतन थियम का जन्म हुआ था। रतन थियम पारम्परिक संस्कृत नाटकों को उनकी आधुनिक व्याख्या के साथ प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ कई नाटकों का निर्देशन भी किया। उनका रंगकर्म अद्भुत रंग-संयोजन के कारण अनूठा कहा जाता है। उन्होंने अनेक भारतीय और विदेशी नाटकों का मंचन करने के साथ-साथ भास के दो नाटकों, कर्णभारम्‌ और उरूभंगम्‌ का मंचन किया है।.

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    DB LIVE | 20 JAN 2017 | Aaj ka itihas, todays History

    1893 में फ़्रांस ने अपने एशियाई उपनिवेशों में विस्तार करते हुए लाओस क्षेत्र को भी अपने उपनिवेश में शामिल किया था। दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित लाओस 52 सालों तक फ़्रांस के अधिकार में रहा। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में लाओस कुछ वक्त के लिए जापान के अधिकार में चला गया, लेकिन थोड़े ही समय बाद फ़्रांस की सेना ने जापानियों को इस क्षेत्र से बाहर निकाल दिया। 1949 में लाओस स्वाधीन देश के रुप में फ़्रांस संघ में शामिल हो गया, लेकिन लाओस की जनता ने फ्रांस के खिलाफ विद्रोह किया। आखिरकार भारत और चीन के साथ युद्ध में हारने के बाद फ़्रांस की सरकार लाओस को स्वतंत्र करने पर मजबूर हो गई और 1954 में लाओस एक स्वतंत्र देश बन गया।

    1948 में भारत के प्रसिद्ध नाटककार और रंगमंच निर्देशक रतन थियम का जन्म हुआ था। रतन थियम पारम्परिक संस्कृत नाटकों को उनकी आधुनिक व्याख्या के साथ प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ कई नाटकों का निर्देशन भी किया। उनका रंगकर्म अद्भुत रंग-संयोजन के कारण अनूठा कहा जाता है। उन्होंने अनेक भारतीय और विदेशी नाटकों का मंचन करने के साथ-साथ भास के दो नाटकों, कर्णभारम्‌ और उरूभंगम्‌ का मंचन किया है।

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  • Watch DB LIVE | 23 JAN 2017 | TODAYS HISTORY, AAJ KA ITIHAS, Video
    DB LIVE | 23 JAN 2017 | TODAYS HISTORY, AAJ KA ITIHAS,

    1897 में महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस का जन्म हुआ था। बोस को नेताजी के नाम से भी जाना जाता है। नेताजी भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया। 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा' का नारा भी अत्यधिक प्रचलन में आया। नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है। जहां जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका जन्म दिन धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई।

    1977 में जनता पार्टी का गठन हुआ था। जनता पार्टी का गठन भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू आपातकाल के बाद जनसंघ सहित भारत के प्रमुख राजनैतिक दलों का विलय करके हुआ था। कई विचारधाराओं और छोटे-बड़े दलों को जोड़कर बनी यह पहली पार्टी थी जिसका आधार था, आपातकाल का विरोध करना और विचारधारा की सीमाओं से ऊपर उठकर एक साथ इकट्ठा होना। मोरारजी देसाई जनता पार्टी के नेता चुने गए। मोरारजी देसाई को नेता बनाने का फैसला काफ़ी दबाव के बीच हुआ था। जनता पार्टी ने 1977 से 1980 तक भारत सरकार का नेतृत्व किया। आंतरिक मतभेदों के कारण जनता पार्टी 1980 में टूट गई।

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  • Watch DB LIVE | 21 JAN 2017 | Aaaj ka itihas, Todays history Video
    DB LIVE | 21 JAN 2017 | Aaaj ka itihas, Todays history

    1924 को व्लादिमीर इलीइच लेनिन का निधन हुआ था। लेनिन रूस में बोल्शेविक क्रांति के नेता और रूस में साम्यवादी शासन के संस्थापक थे। रूस के मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय को संगठित करके पूंजीपतियों का तख्तापलट करने, और मानव इतिहास में पहली बार मजदूरों और किसानों की हुकूमत स्थापित व मजबूत करने में लेनिन ने बोल्शेविक पार्टी की अगुवाई की। 1917 में रूस में अक्तूबर क्रांति की जीत के साथ दुनिया के इतिहास में एक नया युग शुरू हुआ। पहली बार, शोषक वर्ग की राजनीतिक सत्ता को मिटाया गया और उसकी जगह पर किसी दूसरे शोषक वर्ग की सत्ता नहीं, बल्कि मजदूर वर्ग की सत्ता स्थापित हुई। दुनियाभर में कई पीढ़ियों के कम्युनिस्ट और क्रांतिकारी उस समय से, शोषण के खिलाफ़ अपने संघर्ष में लेनिनवाद के सिद्धांत और अभ्यास से प्रेरित और मार्गदर्शित हुए।
    1972 में मणिपुर मेघालय और त्रिपुरा राज्य की स्थापना हुई थी। मणिपुर का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषणों की भूमि’ है। भारत की स्वतंत्रता के पहले यह रियासत थी। आजादी के बाद यह भारत का एक केंद्रशासित राज्य बना। यहाँ की राजधानी इंफाल है। यह संपूर्ण भाग पहाड़ी है। मेघालय पहले असम राज्य का अंग था जिसको विभाजित करके एक नया प्रान्त बनाया गया। इसे पूर्व का स्कॉटलैण्ड भी कहा जाता है। यहाँ खासी, जैंतिया और गारों आदिवासी समुदाय के लोग मुख्यत: रहते हैं। मेघालय के मध्य और पूर्वी भाग में खासी और जैंतिया पहाड़ियाँ और एक विशाल पठारी क्षेत्र है।

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  • Watch DB LIVE | 6 JAN 2017 | TODAY
    DB LIVE | 6 JAN 2017 | TODAY'S HISTORY | AAJ KA ITIHAS

    1838 में सैमुएल मोरसे पहली बार दुनिया के सामने टेलीग्राफ तकनीक को लेकर आए थे, जो भविष्य में दूरसंचार का आधार साबित हुआ। इस यंत्र में पहली बार विद्युत आवेशों का इस्तेमाल कोडेड संदेशों को एक तार के रास्ते भेजने में किया गया था। माना जाता है कि यहीं से दूर संचार के क्षेत्र में क्रांति की नींव पड़ी। बताया जाता है कि जब वह समुद्र के रास्ते यूरोप से अमेरिका जा रहे थे, तो उन्होंने इलेक्ट्रोमैग्नेट नाम के एक नए आविष्कार के बारे में सुना। यहीं से उन्हें इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ बनाने का विचार आया, जिसमें उनके दो पार्टनर लियोलार्ड गेल और एलफ्रेड वाइल ने भी मदद की। इसमें मोरसे कोड यानि डॉट्स और डैशेज अक्षर और अंक को दर्शाते थे। 1843 में मोरसे ने बड़ी मुश्किलों के बाद अमेरिकी कांग्रेस को इस आविष्कार में पैसे लगाने के लिए राज़ी किया।

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  • Watch DB LIVE | 07 JAN 2017 | Today
    DB LIVE | 07 JAN 2017 | Today's History| Aaj ka itihas

    1789 में अमेरिका में पहला चुनाव हुआ था। चुनाव में वोट डालने का अधिकार उन्हीं लोगों को दिया गया था, जिनके पास संपत्ति थी। हर चार साल में एक बार जनवरी महीने में अमेरिका में चुनावी समय शुरु होता है। पहला दौर प्राइमरी से शुरु होता है, जिसमें पार्टियां अपने उन उम्मीदवारों की सूची जारी करती हैं, जो राष्ट्रपति चुनाव में उतरना चाहते हैं। दूसरे दौर में हर राज्य के वोटर ऐसे प्रतिनिधि चुनते हैं, जो दूसरे दौर में पार्टी के सम्मेलन में हिस्सा लेते हैं। पार्टी सम्मेलनों में ये प्रतिनिधि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं। राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार उप राष्ट्रपति पद का अपना सहयोगी उम्मीदवार चुनता है और फिर चुनाव प्रचार शुरू होता है। उसके बाद नवम्बर में राष्ट्रीय चुनाव होते हैं।

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    DB LIVE | 09 JAN 2017 |Today's History| Aaj ka itihas

    1873 में यूरोपीय शासक नेपोलियन बोनापार्ट तृतीय का निधन हुआ था। 1815 में जब नेपोलियन प्रथम का शासन खत्म हुआ, तो वह अपनी मां के साथ स्विट्जरलैंड चले गए थे, लेकिन सत्ता दोबारा हासिल करने की बात हमेशा लुई नेपोलियन के दिमाग में रही, इसलिए 1832 में उन्होंने संघर्ष शुरू किया और खुद को लोगों के सामने लाने के लिए राजनीति और सैन्य मामलों पर कई लेख लिखने शुरू कर दिए। उनकी कोशिशें विफल होने की वजह से 1846 में उन्हें देश छोड़ कर इंग्लैंड जाना पड़ा। 1848 की क्रांति के बाद 1850 में लुई नेपोलियन तृतीय फ्रांसीसी गणराज्य के पहले राष्ट्रपति चुने गए, लेकिन 1870 में फ्रांस के प्रशिया के साथ युद्ध में उनकी हार हुई। इसके बाद उन्हें बंदी बनाकर कुछ महीने जर्मनी में रखा गया और उसके बाद इंग्लैंड भेज दिया गया।

    1915 में महात्मा गांधी करीब 21 साल तक दक्षिण अफ्रीका में रहने के बाद मुंबई पहुंचे थे। गांधीजी अपनी पत्नी कस्तूरबा के साथ ‘‘एसएस अरबिया’’ जहाज से भारत वापस आए थे। जहाज की अगवानी के लिए नवनिर्मित गेटवे आफ इंडिया से एक छोटा लांच नौका रवाना हुई थी, जिसमें मुंबई के कई मशहूर नागरिक सवार थे। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय और अश्वेत लोगों पर जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई और वहीं से प्रेरित होकर उन्होंने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन को चलाने की ठानी।

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  • Watch DB LIVE | 11 JAN 2017 | TODAY
    DB LIVE | 11 JAN 2017 | TODAY'S HISTORY | AAJ KA ITIHAS

    1962 में पेरू के उत्तरी-पश्चिमी पहाड़ी इलाके में पत्थरों और बर्फ़ की बड़ी-बड़ी चट्टानों के सरकने से कई गांव और शहर दब गए थे, जिसमें कम से कम दो हज़ार लोगों की मौत हो गई थी। पेरू की सबसे ऊंची चोटी एंडेस से लाखों टन बर्फ़, चट्टानें, कीचड़ और मलबा तेज़ी से नीचे की तरफ़ आया और घाटी में बसी आबादी को पूरी तरह से दफन कर दिया। भयंकर तूफ़ान के कारण राहतकार्य में भी काफी बाधा हुई। पेरू में रेड क्रॉस के प्रमुख के अनुमान के अनुसार दुर्घटना में दो से ढाई हज़ार लोगों की मौत हुई थी। हालांकि स्थानीय प्रशासन के मुताबिक़ मरने वालों की तादाद तीन से चार हज़ार थी। कुछ जगहों पर ये संख्या चार हज़ार के आसपास बताई गई लेकिन सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाई।

    1966 में देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री का निधन हुआ था। दरअसल भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 का युद्ध ख़त्म होने के बाद 10 जनवरी 1966 को शास्त्रीजी ने पाकिस्तानी सैन्य शासक जनरल अयूब ख़ान के साथ तत्कालीन सोवियत रूस के ताशकंद शहर में ऐतिहासिक शांति समझौता किया था। हैरानी वाली बात यह रही कि उसी रात शास्त्रीजी का कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। जवाहरलाल नेहरू का अचानक निधन हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री का पद भार ग्रहण किया था।

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  • Watch DB LIVE | 12 JAN 2017 | TODAY
    DB LIVE | 12 JAN 2017 | TODAY'S HISTORY | AAJ KA ITIHAS

    1863 में संन्यासी के रूप में भारतीय संस्कृति की सुगन्ध विदेशों में बिखरने वाले साहित्य, दर्शन और इतिहास के विद्वान स्वामी विवेकानन्द का जन्म हुआ था। रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बनने से पहले विवेकानन्द कुश्ती, मुक्केबाज़ी, घुड़सवारी और तैरने आदि में भी निपुणता हासिल कर चुके थे। शुरुआत में वह ब्रह्मसमाज की शिक्षाओं से प्रभावित हुए, लेकिन वैज्ञानिक अध्ययनों के कारण ईश्वर से उनका विश्वास खत्म हो गया था l इसके बाद वह नास्तिक बने रहे और कोलकाता शहर में ऐसे गुरु की खोज में घूमते रहे जो उन्हें ईश्वर के अस्तित्व का ज्ञान करा सके l जब विवेकानंद परमहंस से मिले तो उनकी आयु केवल 25 वर्ष की थी l परमहंस से उनका मिलना मानो दो विभिन्न व्यक्तियों का मिलन प्राचीन और नवीन विचारधारा का मिलन थाl परमहंस की आध्यात्मिक विचारधारा ने विवेकानंद को विशेष रूप से प्रभावित किया। 1899 में उन्होंने अपने गुरु के नाम पर रामकृष्ण सेवाधर्म की स्थापना की l इन मठों में उन्होंने संन्यासियों को मिशन के कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया। ज्ञानयोग, राजयोग, भक्तियोग और कर्मयोग विवेकानंद की प्रमुख रचनाये हैं। भारत में स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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  • Watch DB LIVE | 13 JAN 2017 | TODAY
    DB LIVE | 13 JAN 2017 | TODAY'S HISTORY | AAJ KA ITIHAS

    1926 में भारत के प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता और निर्देशक शक्ति सामंत का पश्चिम बंगाल के बर्धमान में जन्म हुआ था। शुरुआती दौर से ही शक्ति सामंत अभिनेता बनना चाहते थे और इसी सपने को लेकर वह मुंबई आए, लेकिन उन्हें तुरंत सफलता नहीं मिल पाई। उन्होंने शिक्षक की नौकरी करनी शुरु कर दी, लेकिन उनकी किस्मत एक बार फिर उन्हें फिल्मजगत में खींच लाई। 1948 में उन्होंने सहायक निर्देशक के तौर पर बॉलीवुड में कदम रखा । उनके निर्देशन में बनी पहली फ़िल्म बहू 1954 में रिलीज़ हुई और सुपरहिट रही। जिसके बाद 1957 में उन्होंने शक्ति फ़िल्म्स के नाम से प्रोडक्शन हाउस खोला और हावड़ा ब्रिज के नाम से पहली फ़िल्म बनाई। फिल्म हावड़ा ब्रिज में शक्ति सामंत के निर्देशन को लोगों ने खूब सराहा और रातों रात वह बुलंदियों के शिखर पर जा पहुंचे। शक्ति सामंत ने 43 फीचर फ़िल्मों का निर्देशन किया जिनमें चाइना टाउन, कश्मीर की कली और एन इवनिंग इन पेरिस जैसी फ़िल्में शामिल थी। उन्हें फिल्म आराधना,अनुराग और अमानुष की अपार सफलता के बाद फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वह पाँच वर्षों तक फ़िल्म निर्माताओं के संघ के अध्यक्ष भी रहे।

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  • Watch DB LIVE | 22 JAN 2017 |TODAY
    DB LIVE | 22 JAN 2017 |TODAY'S HISTORY, AAJ KA ITIHAS

    1666 में मुगल शासक शाहजहां का आगरा में निधन हुआ था। शाहजहां अपनी न्यायप्रियता और वैभवविलास की वजह से अपने काल में बड़े लोकप्रिय रहे। इतिहास में उनका नाम अपनी बेग़म मुमताज़ महल के लिये विश्व की सबसे ख़ूबसूरत इमारत ताज महल बनाने के लिए दर्ज है। मुगल बादशाह जहांगीर की मौत के बाद छोटी उम्र में ही उन्हें मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में चुन लिया गया था। उनके शासनकाल को मुग़ल शासन का स्वर्ण युग और भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल बताया जाता है।

    1981 में रोनाल्ड रीगन ने अमेरिका के 40वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में रोनाल्ड रीगन एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हुए हैं, जिन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले सर्वाधिक पोपुलर वोट और सर्वाधिक इलैक्टोरल वोट मिले थे और आज तक कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति इस रिकार्ड को नहीं तोड़ पाया है। पूर्व उप राष्ट्रपति वाल्टर मोन्डाले रोनाल्ड रीगन के मुकाबले में मैदान में थे और रीगन ने 69 साल की उम्र में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा था और बढ़ती उम्र को लेकर वह आलोचनाओं के शिकार भी हुए थे। लेकिन इसके बावजूद रोनाल्ड रीगन ने नया इतिहास रचते हुए सर्वाधिक 54, 455 , 075 पोपुलर वोट और सर्वाधिक 525 इलैक्टोरल वोट हासिल किए ।

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