हवा में झूलते में इस मंदिर के 70 पिलर, अंग्रेज भी नहीं खोज सके थे मिस्ट्री / Hanging Lepakshi Temple

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आप को बता दे की वैसे तो आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले का लेपाक्षी मंदिर हैं गिंग पिलर्स (हवा में झूलते पिलर्स) के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। एक बात और इस मंदिर के 70 से ज्यादा पिलर बिना किसी सहारे के खड़े हैं और मंदिर को संभाले हुए हैं।हम आप को ये भी बता दे की वैसे तो इन पिलर्स के नीचे से अपना कपड़ा निकालने से सुख-समृद्धि मिलती है।
क्या है लेपाक्षी मंदिर की कहानी
साथ की साथ वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता यहां आए थे।वैसे तो सीता का अपहरण कर रावण अपने साथ लंका लेकर जा रहा था,एक बात और तभी पक्षीराज जटायु ने रावण से युद्ध किया और घायल हो कर इसी स्थान पर गिरे थे।आप को ये भी बता दे की बाद में जब श्रीराम सीता की तलाश में यहां पहुंचे तो उन्होंने 'ले पाक्षी' कहते हुए जटायु को अपने गले लगा लिया।
क्या है ले पाक्षी का अर्थ
आप को ये भी बता दे की ले पाक्षी एक तेलुगु शब्द है जिसका मतलब है 'उठो पक्षी'। 16वीं सदी में बने इस मंदिर के रहस्य को जानने के लिए अंग्रेजों ने इसे शिफ्ट करने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे थे। एक इंजीनियर ने इसके रहस्य को जानने के लिए मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया तो पाया कि मंदिर के सभी पिलर हवा में झूलते हैं। वैसे तो एक बात और है की मंदिर को सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने वाले दो भाईयों (विरुपन्ना और वीरन्ना) ने बनाया था। साथ की साथ वहीं, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इसे ऋषि अगस्त ने बनाया था। वैसे तो यह मंदिर भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र के लिए बनाया गया है। और तो और यहां तीनों भगवानों के अलग-अलग मंदिर भी मौजूद हैं।

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