1810 में मशहूर शायर मीर तक़ी मीर का निधन हुआ था। उनका जन्म 1722 में आगरा में हुआ था। मीर तक़ी मीर ने मुग़ल शासन के अंतिम काल में शायरी आरंभ की। मीर को उर्दू शायरी विशेषकर गज़ल का स्तंभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उर्दू ग़ज़ल का हर शेर मीर तक़ी मीर का है, चाहे वो किसी ने भी कहा हो। मीर तक़ी मीर का पूरा नाम मुहम्मद तक़ी था और उनको ख़ुदाए सुख़न की उपाधि दी गई थी। मीर की गज़लों के कुल छह दीवान हैं। इनमें से कई शेर ऐसे भी हैं, जो मीर के हैं या नहीं इस पर विवाद है। इसके अलावा कई शेर या कसीदे ऐसे हैं, जो किसी और के संकलन में हैं, लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि वे मीर के हैं। उनके शेरों की संख्या 15000 है। इसके अलावा कुल्लियात-ए-मीर में दर्जनों मसनवियां, क़सीदे और मर्सिये संकलित हैं।
1933 में अग्रणी थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता और भारत-प्रेमी महिला डॉक्टर एनी बेसेन्ट का निधन हुआ। एनी ने भारत में होमरुल लीग की स्थापना की थी। सन 1917 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा बनीं। उनके पिता अंग्रेज थे और पेशे से डॉक्टर। डॉ. बेसेन्ट पर उनके माता-पिता के धार्मिक विचारों का गहरा प्रभाव था। डॉ॰ बेसेन्ट के जीवन का मूलमंत्र था 'कर्म'। वह जिस सिद्धान्त पर विश्वास करतीं, उसे अपने जीवन में उतार कर उपदेश देतीं। बेसेंट भारत को अपनी मातृभूमि समझती थीं। वे जन्म से आयरिश, विवाह से अंग्रेज और भारत को अपना लेने के कारण भारतीय थीं। तिलक, जिन्ना और महात्मा गांधी तक ने उनके व्यक्तित्व की प्रशंसा की। बेसेंट भारत की स्वतंत्रता के नाम पर अपना बलिदान करने को सदैव तत्पर रहती थीं।.
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