ईसा पूर्व 33 यानी क़रीब 2150 वर्ष पहले मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा की मौत हुई थी। अब तक क्लियोपेट्रा की मौत से पर्दा नहीं उठ सका है, लेकिन माना जाता है कि क्लियोपेट्रा ने अपने शरीर पर सांप को लुभाने वाला तेल लगाया, जिसके बाद जहरीले सांप ने उनके वक्ष पर काट लिया। स्ट्राबो नाम का व्यक्ति उस वक्त मौजूद था, जिसने बाद में इसकी गवाही दी। बाद के 10-15 वर्षों में इतिहासकारों ने भी कुछ ऐसा ही लिखा। लेकिन कुछ और लोगों का कहना है कि हार के बाद ऑगस्टस ने क्लियोपेट्रा की हत्या कर दी। 2010 में एक जर्मन इतिहासकार क्रिस्टोफ शेफर ने सभी दावों को खारिज़ करते हुए एक थ्योरी दी, जिसके मुताबिक क्लियोपेट्रा को जहर दिया गया, जिसे पीने से उनकी मौत हुई थी। इस नतीजे पर पहुंचने के लिए उन्होंने कई प्राचीन पुस्तकों का हवाला दिया है। शेफर का कहना है कि अगर सांप किसी को काटता है, तो उसकी मौत तड़प-तड़प कर होती है, एकदम से नहीं, क्योंकि उसके ज़हर से पहले शरीर के कुछ हिस्से अपाहिज हो जाते हैं और फिर आंखों की रोशनी जाती रहती है। इसके बाद शरीर के दूसरे हिस्सों पर सांप के ज़हर का असर होता है। क्लियोपेट्रा अपनी ख़ूबसूरती और रूमानियत के लिए मशहूर थीं, जिस पर विलियम शेक्सपीयर जैसे साहित्यकार भी फ़िदा थे।.
1936 में मशहूर गीतकार गुलज़ार का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। इनकी मुख्य रचनाएं हिन्दी, उर्दू और पंजाबी में मिलती हैं। गुलज़ार ने अपने करियर की शुरुआत 1961 में निर्देशक बिमल रॉय के सहायक के रूप में की। गुलज़ार ने ऋषिकेश मुखर्जी और हेमन्त कुमार के सहायक के तौर पर भी काम किया। इनके गीत 'ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन, तुझ पे दिल कुर्बान' और 'गंगा आए कहां से, गंगा जाए कहां से' को बेहद पसंद किया गया। इन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया, जिनमें मेरे अपने, परिचय, अचानक, मौसम, इजाज़त, लिबास, आदि मशहूर फिल्में हैं। 2009 में डैनी बॉयल निर्देशित फ़िल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में इनके लिखे गीत 'जय हो..' के लिए गुलजार को सर्वश्रेष्ठ गीत के ऑस्कर पुरस्कार से नवाज़ा गया और इसी गीत के लिए ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 2013 में गुलज़ार को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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1896 में मशहूर शायर फ़िराक़ गोरखपुरी का जन्म हुआ था। फ़िराक़ गोरखपुरी को शायर के अलावा एक लेखक और आलोचक के रूप में भी जाना जाता है। महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए फ़िराक़ ने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफ़ा दे दिया था। फ़िराक़ गोरखपुरी ने उर्दू में गज़ल, नज़्म और रुबाइयां लिखी हैं, वहीं साहित्य और संस्कृति से जुड़े विषयों पर इन्होंने इंग्लिश में चार किताबें भी लिखी हैं। 1960 में गोरखपुरी को साहित्य अकादमी और 1968 में पद्म भूषण सम्मान से नवाज़ा गया। इनकी किताब गुल-ए-नग़मा के लिए इन्हें 1969 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
1913 में भोपाल रियासत की राजकुमारी और भारत की पहली महिला पायलट आबिदा सुल्तान का जन्म हुआ था। उपमहाद्वीप की मुस्लिम राजनीति में सक्रिय भूमिका अदा करने वाली आबिदा ने अपने पिता हमीदुल्लाह ख़ान की कैबिनेट के अध्यक्ष और मुख्य सचिव की ज़िम्मेदारी संभाली थी। 1949 में वह अखिल भारतीय महिला स्क्वैश की चैंपियन भी थीं। आबिदा सुल्तान के बेटे शहरयार मोहम्मद ख़ान 1990 में पाकिस्तान के विदेश सचिव भी रह चुके हैं।
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5 December History: क्यों World के लिए है आज ख़ास दिन | History | Today History | Khabarfast |
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5 December History: क्यों World के लिए है आज ख़ास दिन | History | Today Histor
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1915 में डॉ. गुरदयाल सिंह ढिल्लों का जन्म हुआ था। ढिल्लों भारत के पांचवें लोकसभा अध्यक्ष थे। इन्हें जीएस ढिल्लों के नाम से भी जाना जाता है। गुरदयाल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, जिन्हें क़ानून से लेकर पत्रकारिता, शिक्षा और खेलकूद से लेकर संवैधानिक अध्ययन में रुचि थी। सिद्धांतों से समझौता करना, उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था। उनके लिए संसद लोकतंत्र का मंदिर था और इसलिए सभा और इसकी परम्पराओं तथा परिपाटियों के प्रति उनके मन में अत्यधिक सम्मान था। उनमें सभा की मनःस्थिति को पल भर में भांपने की अद्भुत क्षमता थी और उनका दृष्टिकोण व्यावहारिक हुआ करता था। अंतर-संसदीय संघ की अंतर-संसदीय परिषद के अध्यक्ष के रूप में ढिल्लों का चुनाव न केवल उनके लिए बल्कि भारत की पूरी जनता और भारतीय संसद के लिए भी बहुत सम्मान की बात थी। लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से उन्होंने 1947 में एक पंजाबी दैनिक 'वर्तमान' भी शुरू किया और उसका सम्पादन किया।
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1604 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आदि गुरुग्रंथ साहिब की प्रतिस्थापना की गई थी। गुरुग्रंथ साहिब सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है। इस ग्रंथ को 'आदिग्रंथ' के नाम से भी जाना जाता है। गुरुग्रंथ साहिब के प्रथम संग्रहकर्ता सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देवजी थे। उनके बाद भाई गुरुदास इसके संपादक हुए। इस ग्रंथ मे कुल 1,430 पृष्ठ हैं। इसमें केवल सिख गुरु के ही नहीं, बल्कि 30 अन्य हिन्दू और मुस्लिम भक्तों की वाणियां भी सम्मलित हैं। गुरुग्रंथ साहिब में जयदेव और परमानंद के समान ब्राह्मण भक्तों की वाणियां भी हैं। गुरुग्रंथ साहिब की भाषा बड़ी ही सरल, सुबोध, सटीक और जन-समुदाय को आकर्षित करने वाली है।
1770 में जर्मन दार्शनिक और वैज्ञानिक जॉर्ज विलहेल्म फ्रीडरिष हेगेल का जन्म हुआ। स्टुटगार्ट में जन्मे फ्रीडरिष हेगेल के घर को अब संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। यहां साल भर देश-विदेश से पर्यटक और रिसर्चर पहुंचते रहते हैं। इस संग्रहालय में हेगेल के जीवन और काम से जुड़ी ढेरों सामग्री, निशानियां और दस्तावेज संभालकर रखे गए हैं। हेगेल जर्मनी की येना युनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। येना पर नेपोलियन की सेना ने चढ़ाई कर दी थी और हेगेल को वहां से भागना पड़ा था। वह अपने साथ केवल अपना प्रमुख दार्शनिक अध्ययन फेनोमेनोलोजी ही ले जा सके थे।
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1915 में मशहूर लेखक भीष्म साहनी का जन्म हुआ था। उन्हें हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है। साहनी आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से एक थे। भीष्म साहनी मानवीय मूल्यों के सदैव हिमायती रहे। पाकिस्तान के एक पंजाबी परिवार से संबंध रखने के बाद भी इतनी अच्छी तरह से हिंदी भाषा पर पकड़ होने के चलते कई बार कुछ साहित्यकार उन्हें शक की नज़र से भी देखते थे, लेकिन उनका काम अपनी आवाज़ से सबको किनारे बिठा देता था। भीष्म साहनी ने 16 वर्ष की उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था। सईद अख़्तर मिर्ज़ा की एक फ़िल्म “मोहन जोशी हाज़िर हो” में भी साहनी साहब ने अभिनय किया था। उनकी प्रसिद्ध रचनाएं जैसे 'झरोखे', 'कड़ियां', 'बसंती', 'मैय्यादास की माड़ी', 'कुंतो' में से उपन्यास 'तमस' पर सन् 1986 में एक फ़िल्म का निर्माण भी किया गया, जिसे अतंरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई। सन् 1998 में लेखन के क्षेत्र में भीष्म साहनी को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
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1905 में मशहूर भारतीय हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचन्द सिंह का जन्म हुआ था। ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 तीन ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और तीनों बार देश को स्वर्ण पदक दिलाया। कहा जाता है कि मैच के दौरान गेंद हर समय ध्यानचंद की स्टिक के साथ ही चिपकी रहती थी, जिसे देखकर हर कोई हैरान रहता था और इसी वजह से ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा गया। 1956 में ध्यानचंद को पद्म भूषण सम्मान से नवाज़ा गया।
1923 में मशहूर निर्देशक रिचर्ड एटनबरा का जन्म हुआ था। एटनबरा ने महात्मा गांधी के जीवन और भारत की आज़ादी पर फिल्म ‘गांधी’ का निर्माण किया था। इस फिल्म का नामांकन ऑस्कर की 11 श्रेणियों में हुआ था, जिसमें से आठ ऑस्कर इस फिल्म की झोली में आए। एटनबरा ने इस फिल्म के लिए चार बाफ्टा और चार गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड भी जीते। गांधी एटनबरा की ड्रीम प्रोजेक्ट मानी जाती है, इस फिल्म की रिसर्च और तैयारी में इन्हें 18 साल लग गए थे।
1986 में ब्रिटेन की दो हमशक्ल जुड़वां बहनों ने अपने जन्मदिन का सौवां सालगिरह मनाया था। 100 वर्ष पूरे होने पर महारानी एलिजाबेथ ने संदेश के जरिए उन्हें बधाई दी थी। अपने सौवें जन्मदिन पर दोनों बहनों ने एक साझा बर्थडे पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें उनके परिवार की चार पीढ़ियों के लोग शामिल थे। हमशक्ल जुड़वां लोगों के सौ साल से ज़्यादा उम्र तक जी पाने की संभावना बहुत कम होती है और 70 करोड़ लोगों में एक ऐसा जोड़ा हो सकता है, जो सौ साल तक जी पाता है।
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1173 में इटली में पीसा की झुकी हुई मीनार का निर्माण शुरू किया गया था। इस मीनार को पूरा करने में 200 साल लगे| ‘लीनिंग टावर ऑफ़ पीसा’ को वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना माना जाता है| अपने निर्माण के बाद से ही पीसा की मीनार लगातार नीचे की ओर झुकती रही है और इसी झुकने की वजह से यह दुनिया भर में मशहूर हो गई। पिछले कुछ सालों से यहां एक विशेष परियोजना चलाई जा रही है, जिसका मक़सद लीनिंग टावर ऑफ़ पीसा को सीधा खड़ा करना है। इसके तहत टावर के उत्तर से ज़मीन से 70 टन मिट्टी खोदी गई ताकि इसे सीधा खड़ा किया जा सके| जब यह काम ख़त्म हुआ तो टावर लगातार सीधा खड़ा होता नज़र आने लगा| सात साल बाद अब ये टावर 48 सेंटीमीटर सीधा हुआ है।
1945 में अमेरिका ने जापान के नागासाकी में एटम बम गिराया गया था। इससे पहले 6 अगस्त को जापान के हिरोशिमा में भी अमेरिका ने बम गिराया था। नागासाकी जापान के लिए एक अहम बंदरगाह है, जो जापान को शंघाई से जोड़ता है। बम गिरने से आसमान में बहुत तेज़ चिंगारी दिखाई दी। जो लोग ज़मीन के नीचे बंकरों में छिप गए, उन्होंने देखा कि बम की आगोश में आए लोगों के शरीर में बड़े-बड़े फोड़े बन गए थे। कुछ लोगों की त्वचा शरीर से अलग होकर लटक रही थी और कुछ लोगों की आंखें पिघलकर उनके माथे में समा गईं थीं। इस परमाणु हमलें में 70,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
1969 में हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री शरोन टेट की हत्या कर दी गई थी। शरोन टेट अपने घर में चार अन्य लोगों के साथ मृत पाई गई थीं। उन सभी को गोली मारी गई थी और छूरों से भोंका गया था। 26 साल की टेट हत्या के समय गर्भवती थीं।
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মানুহৰ জীৱনৰ ধৰ্ম আৰু কৰ্ম কিহৰ দ্বাৰা পৰিচালিত হয়?
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ভগৱান শ্ৰীকৃষ্ণৰ জীৱন দৰ্শনৰ পৰা আমি কি কি কথা শিকা উচিত?
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চুতীয়া শব্দৰ উৎপত্তি আৰু চুতীয়া সকলৰ ইতিহাস
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